अगले 12 से 18 महीने में इसमें से 35 प्रतिशत यानी करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज गैर निष्पादित आस्तियों की श्रेणी में आ जाएगा।
रेटिंग एजेंसी ने वेबिनार में कहा, भारतीय बैंकों का 7.7 लाख करोड़ रुपये कर्ज दबाव वाला है। इसमें से 2.6 लाख करोड़ रपये का कॉरपोरेट और एसएमई कर्ज वित्त वर्ष 2018-19 तक दबाव वाले कर्ज की श्रेणी में आ सकता है। यह कुल बैंक कर्ज का 3.2 प्रतिशत बैठता है।
रेटिंग एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि कुल दबाव वाला कॉरपोरेट और एसएमई कर्ज कुल बैंक कर्ज का 22 प्रतिशत है। पहचान वाला यानी एनपीए की श्रेणी में डाला जा चुका कॉरपोरेट और एसएमई रिण कुल बैंक कर्ज का 12 प्रतिशत बैठता है।
Source: NDTV India