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इस महीने स्टार्टअप की दुनिया में लौटेंगे टाटा

Tata Sons Chairman Ratan Tata reacts as he speaks during a press conference prior to the launch event of the Tata Nano in Mumbai, India, Monday, March 23, 2009. Tata Motors is launching its snub-nosed, US$2,000 Nano Monday in Mumbai, a vehicle meant to put car ownership within reach of millions of the world's poor. The Nano, starting at about 100,000 rupees (US$1,980), is 10.2 feet (3.1 meters) long, has one windshield wiper, a 623cc rear engine, and a diminutive trunk, according to the company's Web site. (AP Photo/Gautam Singh)

रतन टाटा इसी महीने टाटा संस की कमान एन चंद्रशेखरन को सौंपकर स्टार्टअप निवेशक के तौर पर दोबारा अपना काम शुरू कर देंगे।

अक्टूबर में टाटा संस के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद से ही टाटा ने नए चेयरमैन की तलाश पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्टार्टअप के साथ अपनी गतिविधियों को खत्म कर दिया था।

टीसीएस के सीईओ चंद्रशेखरन को 21 फरवरी को टाटा संस का नया चेयरमैन बनाया जाएगा और इसके साथ ही अंतरिम चेयरमैन की जिम्मेदारी से रतन टाटा मुक्त हो जाएंगे। ऐसे में वह स्टार्टअप की दुनिया में दोबारा लौट जाएंगे।

कलारी कैपिटल द्वारा स्टार्टअप पर आयोजित एक कार्यक्रम में टाटा ने संरक्षणवाद और पूंजी डंपिंग के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, “नियामकों को उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है जहां अनुचित प्रतिस्पर्धा है। नए स्टार्टअप को खत्म करने के लिए ऐसा किया जा रहा है लेकिन बाजार में सबके लिए समान अवसर सुनिश्चत किया जाना चाहिए।”

टाटा कलारी कैपिटल के सलाहकार भी हैं और उन्होंने अरबन लैडर, ओला, मैड्रेट गेम्स, नेस्टअवे और स्नैपडील सहित 20 स्टार्टअप में अपना व्यक्तिगत निवेश भी किया है।

टाटा ने कहा, “आमतौर लोग यह चाहते हैं कि मेरे लिए उदारीकरण हो लेकिन दूसरों के लिए नहीं। मुझे बचाओ लेकिन हरेक के लिए समान अवसर भी उपलब्ध होने दो। यह कल की बात है।”

उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि कुछ कंपनियों के अनुचित प्रतिस्पर्धा को नियंत्रित करने की जरूरत है लेकिन इंटरनेट ने वाणिज्य के लिए एक राजमार्ग खोल दिया है जिसका इस्तेमाल स्टार्टअप समुदाय कर रहे हैं और इसका इस्तेमाल पारंपरिक कंपनियां भी अपने हिसाब से कर रही हैं।”

कलारी की संस्थापक वाणी कोला ने टाटा से पूंजी डंपिंग पर भी अपने विचार रखने का आग्रह किया। वह संभवत: देश की पहली वेंचर कैपिटलिस्ट हैं जिन्होंने भारतीय स्टार्टअप को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए सरकार से आग्रह किया है।

उन्होंने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में उबर और एमेजॉन पर बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पूंजी डंपिंग का आरोप लगाया। कोला का यह विचार भारत के दो सफल स्टार्टअप संस्थापकों- ओला के भाविश अग्रवाल और फ्लिपकार्ट के सचिन बंसल- के विचारों से मेल खाता है।

इन दोनों संस्थापकों ने दिसंबर में एक सार्वजनिक अपील के जरिये सरकार से आग्रह किया था कि विदेशी पूंजी को स्वीकार किया जाए न कि विदेशी कंपनियों को। इससे भारत में स्टार्टअप के लिए माहौल पर बहस छिड़ गई थी।

कलारी ने ओला, मिंत्रा (जिसका अधिग्रहण फ्लिपकार्ट ने किया है) और स्नैपडील को अपने पोर्टफोलियो कंपनियों में गिनती है जिसमें उसकी हिस्सेदारी है।

नए जमाने की इंटरनेट कंपनियों के बीच ये तीनों बड़ी कंपनियां हैं जो वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन से तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही हैं। एमेजॉन ने यहां 5 अरब डॉलर के निवेश के लिए प्रतिबद्धता जताई है। जबकि उबर ने कहा है कि वह सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश फंड से जुटाए गए 3.5 अरब डॉलर का एक उल्लेखनीय हिस्सा भारत में निवेश करेगी।

Source: The Business Standard