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उत्तर प्रदेश में लगेंगे दो रेशम कारखाने, बुंदेलखंड में उद्योग स्थापना के लिए भी काम शुरू: UP MSME मिनिस्टर

औद्योगिक विकास और बेरोजगारी को चुनावी मुद्दा बनाने वाली भाजपा ने सूबे में सरकार बनते ही इस दिशा में कसरत भी शुरू कर दी है।

खादी ग्रामोद्योग, रेशम वस्त्रोद्योग, एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सत्यदेव पचौरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में रेशम के धागे बनाने दो कारखाने लगेंगे। साथ ही बुंदेलखंड में उद्योग स्थापना के लिए भी खाका खींचा जा रहा है।

श्री पचौरी ने रविवार को सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता में बताया कि वाराणसी सहित कई शहरों में रेशम के कपड़ों का बड़ा काम है, लेकिन रेशम उत्पादन की एक भी इकाई अब तक पूरे प्रदेश में नहीं है। तय हुआ है कि प्रदेश में दो रेशम उत्पादन कारखाने स्थापित होंगे। कहां होंगे? इस सवाल पर बोले कि पूर्वाचल में शहतूत ज्यादा होता है, इसलिए एक कारखाना वहां लगेगा और धागा व रेशम का कपड़ा तैयार किया जाएगा दूसरे के लिए भी उपयुक्त क्षेत्र चिह्नित किया जाएगा।

बुंदेलखंड की संभावना पर बोले कि वहां पथरीली जमीन है। अरंडी पैदा हो सकती है। अरंडी से भी रेशम बन सकता है, इसलिए पहले वहां अरंडी उत्पादन बढ़ाया जाएगा। उनका कहना था कि बुंदेलखंड में उद्योग स्थापना के लिए भी खाका खींचा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारे विभागों की कई वस्तुएं गुणवत्तापूर्ण हैं, लेकिन अब तक उनका जनता के बीच सही प्रचार-प्रसार नहीं हुआ। अब खादी ग्रामोद्योग और रेशम वस्त्रोद्योग के उत्पादों की ब्रांडिंग बाबा रामदेव की तरह की जाएगी।

कानपुर की मिलों को चालू कराने के सवाल पर बोले कि पूर्व की केंद्र सरकार ने मृत मिलों को सब्सिडी का लाभ अपनों को दिलाने के लिए टेकओवर किया। हमारा ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही औद्योगिक इकाइयों के लिए वर्किंग कैपिटल के इंतजाम पर भी है। लाल इमली के लिए केंद्र सरकार से बात चल रही है। कानपुर को टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का हब बनाया जाएगा।

उन्होंने दावा किया कि अगले महीने से कानपुर को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति होगी।

पुरानी फाइलों पर पैनी निगाह

कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी पूर्व प्रदेश सरकार की योजनाओं की फाइलों पर पैनी नजर रखे हैं। उन्होंने बताया कि सोलर के चरखे बांटने की एक फाइल मेरे सामने आई। सवाल है कि पात्र कैसे चुने, उन्हें ट्रेनिंग दी गई या नहीं? वह फाइल रोक दी गई है। इसी तरह पावरलूम उद्योग को बिजली बिल पर 150 करोड़ की सब्सिडी की फाइल का भी अध्ययन किया जा रहा है।

यूपिका सहित कई विभागों की अपनी संपत्ति होते हुए किराए के भवन में शोरूम क्यों चल रहे हैं। इसकी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है।

Source: Danik Jagran