सिबिल का कहना है कि एमएसएमई सेक्टर को दिए गए 12 लाख करोड़ रूपये के लोन में से लगभग 55, 000 करोड़ रूपये का लोन NPA (गैर निष्पादित परिसंपत्ति) में बदल सकता है।
ट्रांसयूनियन सिबिल के सीईओ सतीश पिलाई ने कहा है कि लगभग 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बैंकों ने लघु उद्योगों को दिया है। यह बैंकों द्वारा दिए गए लोन का 21% है, जो कि दस लाख रुपये से 10 करोड़ तक का कारोबार करने वाली एमएसएमई कंपनियों के सेगमेंट में जारी किया गया है।
बीते वर्ष से एमएसएमई को दिए जाने वाले कर्ज में 11 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुयी है। लेकिन इससे एमएसएमई में एनपीए की दर 8.7 प्रतिशत तक पहुंच गई है और मार्च 2017 तक यह बढ़कर 9.8 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
सिबिल एमएसएमई रैंक (CMR) सॉफ्टवेयर की मदद से क्रेडिट रिस्क को कैलकुलेट करता है। जो कि पुराने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर होती है। आंकलन के आधार पर एमएसएमई को यह 1 से लेकर 10 तक की रैंक देता है, ज्यादा नंबर होने पर ज्यादा पैसे डूबने का खतरा होता है। यह रैंकिंग 7 साल के कर्ज के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है।
सीएमआर के तहत 1 श्रेणी की कंपनियों के डिफॉल्ट करने का जोखिम 1.4 प्रतिशत है,जबकि 10 सीएमआर श्रेणी की कंपनियों के डिफॉल्ट का जोखिम 90 प्रतिशत है। करीब 12 लाख एमएसएमई सीएमआर 1 से सीएमआर 5 की श्रेणी में हैं, जो बैंकों की उधारी चुकाने के हिसाब से बेहतर है।