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नोटबंदी के बाद MSMEs के श्रमिकों के लिए भुगतान अभी भी एक बड़ी समस्या: कलराज मिश्र

वाइब्रेंट गुजरात समिट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री कलराज मिश्र ने कहा है कि नोटबंदी के बाद एमएसएमई क्षेत्र के श्रमिकों के लिए भुगतान अभी भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है। मिश्रा ने कहा कि हालांकि स्थिति में अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

मंत्री ने कहा कि मोरबी के चीनी मिट्टी उद्योग की स्थिति अब सुधर रही है। मोरबी में 27 प्रतिशत चीनी मिट्टी के क्लस्टर में कार्यरत एमएसएमई इकाइयां विमुद्रीकरण के बाद बंद हो गयी थी। क्योंकि इकाइयों के मालिक श्रमिकों को उनके वेतन का भुगतान करने में सक्षम नहीं थे।

मिश्र ने कहा कि सरकार ने जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट योजना के लिए प्रमाणीकरण प्रक्रिया (सर्टिफिकेशन प्रोसेस) को शुरु किया है जिसके लिए उसे 64,000 से अधिक ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि पीतल, चांदी, सोना, प्लेटिनम और हीरे की इकाइयों को इस पालिसी के जरिए उचित फंडिग मिलेगी।

उन्होंने आगे कहा, “एक नई योजना लघु उद्योगों का पुनरुद्धार और पुनर्वास’ को हमने शुरु किया है। इसमें उन उद्यमों जिनको ड़र है कि वे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (नॉन परफार्मिंग एसेट्स यानी NPA) में बंद हो जाएगी, को व्यापार करने के लिए मजबूत बनाया जाएगा। 10 लाख रुपये तक के एनपीए के लिए समर्थन ऋण प्रस्ताव की जांच बैंक मैनेजर द्वारा की जाएगी। जबकि 10 लाख से अधिक लेकिन 25 करोड़ रुपये से कम तक के एनपीए की जांच हमारे मंत्रालय द्वारा गठित समिति करेगी। कलराज ने कहा कि इन इकाईयों के लिए वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जा सकती है।”

उन्होंने यह भी बताया कि अहमदाबाद में, एक 3 डी प्रिंटिंग केंद्र इंडो-जर्मन टूल रूम को शुरू किया गया है जहां एमएसएमई को प्रशिक्षण दिया जाता है।

ASPIRE योजना के अलावा, एमएसएमई मंत्रालय ने डिजिटल स्टार्ट-अप वाले उद्यमियों के लिए एक 30% नकद ऋण को बैंकों के माध्यम से पेश किया है।

आगामी उत्तर प्रदेश के चुनावों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। मुख्यमंत्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह फैसला भाजपा संसदीय बोर्ड का होगा।