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खादी के जरिये बदली गाँव की सूरत, महिलाओं को मिला रोजगार

प्रधानमंत्री मोदी के खादी को बढ़ावा देने के बाद खादी की बिक्री और इसके क्षेत्र में विस्तार हुआ है। मोदी की इस पहल को बढ़ावा देने में खादी से जुड़ा एमएसएमई मंत्रालय भी उनका साथ बढ़-चढ़ कर दे रहा है।

इसी क्रम में केंद्रीय एमएसएमई राज्य मंत्री और नवादा से सांसद गिरिराज सिंह ने अपने जिले के ख़ानवा गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया और खादी के माध्यम से गांव के विकास को बल भी दिया है।

मंत्री ने भारतीय हरित खादी ग्रामोद्य संस्थान को गांव के विकास के लिए शुरु किया जिसमें 25 महिलाओं को सूत कातने की एक महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। इस सेंटर में खादी के जैकेट, शर्ट और कुर्ते आदि बनते हैं। यहां काम करने वाली महिलाएं 6 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन के रुप में कमा लेती हैं।

इस संस्थान में काम करनी वाली महिलाओं का कहना है कि सेंटर ने उनको रोजगार दिया है व उनको स्वावलंबी बनाया है।

6 महीनों में यहां काम करने वाली महिलाओं को 16 लाख रुपये मेहनताने के रुप में मिले हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में सरकरा द्वारा पीएमईजीपी योजना के तहत 500 महिलाओं को चरखा वितरित किए गए थे।

खानवा गांव का हर घर इस खादी संस्था और चरखा से जुड़ा है। सेंटर में एक सिलाई सेंटर भी है और इसमें लगभग 85 चरखों के जरिए धागा बनाया जाता है। यहाँ स्थित पावरलूम में कपड़ों की बुनाई की ट्रेनिंग दी जाती है।

सरकार सोलर चरखा पर 35 फीसदी सब्सिडी देती है ताकि अधिक से अधिक लोग चरखा खरीद सकें और रोजगार में वृद्धि हो। खानवा का यह खादी केंद्र देश के सभी गांवों के लिए मिसाल है।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल के बाद ग्रामद्योग और उद्यम नवाचार परिवर्तन योजना के तहत भारतीय माइक्रो क्रेडिट के जरिए भारतीय हरित खादी ग्रामोद्य संस्थान की नींव रखी गयी थी। जिसने खानवा को एक आदर्श गांव की श्रेणी में पहुंचा दिया है।