SMEpost

नोटबंदी के दबाव में मोदी के लिए पॉजिटिव आंकड़े, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन बढ़ा, महंगाई दर गिरी

नोटबंदी के दबाव के बीच औद्योगिक उत्पादन और महंगाई के ताजा आंकड़े मोदी सरकार के लिए राहत लेकर आए हैं।

नवंबर माह में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production) यानी आईआईपी ने 5.7 फीसदी ग्रोथ दर्ज की है जबकि बीते साल नवंबर 2015 में आईआईपी ग्रोथ 3.4 फीसदी थी।

वहीं दिसंबर माह में रिटेल महंगाई दर 3.63 फीसदी से घट कर 3.41 फीसदी रह गई। आईआईपी में तेजी की प्रमुख वजह मैन्यूफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिसिटी में तेज ग्रोथ होना रहा है।

मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी और माइनिंग में उछाल

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यक्रम एवं क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा बृहस्पतिवार को जारी डाटा के अनुसार नवंबर माह में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ 4.6 फीसदी के मुकाबले 5.5 फीसदी रही है।

इसी तरह इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में ग्रोथ 0.7 फीसदी के मुकाबले इस बार 8.9 फीसदी रही है। वहीं माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 1.7 फीसदी के मुकाबले 3.9 फीसदी रही है।

कस्टमर प्राइस इंडेक्स दिसंबर महीने में घटा

वहीं, दिसंबर में कंज्यूमर प्राइस इंफ्लेसन (सीपीआई) भी घटा है। दिसंबर में यह नवंबर के मुकाबले 20 बेसिस प्वाइंट्स (बीपीएस) के साथ 3.4 फीसदी पर रहा। इसके लिए खाद्य महंगाई में 70 बीपीएस की कमी आना भी जिम्मेदार है।

इस महीने खाद्य महंगाई 1.3 फीसदी है, जो पिछले दो साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा है। एग्रीकल्चर सप्लाई और कैश की कमी के चलते पेरिशेबल गुड्स और हाईबेस प्रोडक्ट्स के प्राइस में कमी आई।

इसी बीच, कोर इन्फ्लेशन (पेट्रोल, डीजल और फूड को छोड़कर) अपेक्षा के विपरीत 4.8 फीसदी पर स्थित रहा। कोर इन्फ्लेशन में घरेलू सामान और सर्विसेज व एजुकेशन इंडेक्स में 15 फीसदी पर रहे।

महंगाई पर नोटबंदी का असर

दिसंबर में महंगाई पर नोटबंदी का असर दिखा है। खाने-पीने की चीजें सस्ती होने की वजह से दिसंबर में रिटेल महंगाई दर 3.63 फीसदी से घटकर 3.41 फीसदी पर आ गई है।

इस दौरान दूध, चीनी, दाल की कीमतें घटी हैं। दाल सस्ती हुई है और दाल की महंगाई दर 0.23 फीसदी से घटकर -1.57 फीसदी पर आ गई है।

दूध की रिटेल महंगाई दर 4.5 से घटकर 4.40 फीसदी, चीनी की महंगाई दर 22.40 फीसदी से घटकर 21.06 फीसदी हो गई है। हालांकि फ्यूल महंगा हुआ है। फ्यूल की महंगाई दर 2.80 फीसदी से बढ़कर 3.77 फीसदी हो गई है।

Source: Money Bhaskar