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नोटबंदी: वर्ल्ड बैंक ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया, लेकिन अभी भी चीन से आगे है भारत

नोटबंदी के चलते वर्ल्ड बैंक ने भारत की ग्रोथ का अनुमान फाइनेंशियल ईयर 2016-17 के लिए घटाकर 7 फीसदी कर दिया है।

पहले वर्ल्ड बैंक ने 7.6 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान इस साल के लिए जताया था। हालांकि, बैंक ने यह भी कहा है कि 2017-18 में भारत की ग्रोथ रेट 7.6 फीसदी और 2018-19 में 7.8 फीसदी रह सकती है। नवंबर में नोटबंदी के बाद वर्ल्ड बैंक की यह पहली रिपोर्ट है। वहीं, वर्ल्ड बैंक ने 2017 में ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान 2.7 फीसदी जताया है।

रिपोर्ट की खास बातें

वर्ल्ड बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि सरकार की ओर से सर्कुलेशन में से बड़ी वैल्यू की करंसी वापस लेने और उसकी जगह नए नोट जारी करने से 2017 में ग्रोथ धीमी रहेगी।

भारत की ग्रोथ रेट 31 मार्च 2017 को समाप्त होने वाले फाइनेंशियल ईयर में 7 फीसदी रह सकती है।

वर्ल्ड बैंक ने कहा, नोटबंदी के साथ-साथ बढ़ती तेल की कीमतें और एग्री प्रोडक्शन कम रहने की चुनौतियां भी बनी हुई हैं।

फिर भी चीन से तेज बनी हुई है भारत की ग्रोथ

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, इमर्जिंग मार्केट्स में चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली इकोनॉमी बना हुआ है। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि भारत में सरकार की ओर से प्रोडक्टिविटी बढ़ाने और घरेलू सप्लाई बेहतर बनाने के लिए कई रिफॉर्म्स किए जाने की उम्मीद है। इसका असर आने वाले वर्षों में भारत की ग्रोथ पर देखने को मिलेगा।

रिपोर्ट के अनुसार, रिफॉर्म्स के रफ्तार पकड़ने से फाइनेंशियल ईयर 2018 में भारत की ग्रोथ रेट 7.6 फीसदी और फाइनेंशियल ईयर 2019 में 7.8 फीसदी हो सकती है।

चीन की इकोनॉमी की ग्रोथ 2017 में 6.5 फीसदी और 2018 में 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है। वर्ल्ड बैंक ने जून 2016 के पूर्वानुमान में भी यही कहा था।

मेक इन इंडिया से मिलेगा सपोर्ट 

रिपोर्ट के अनुसार, बिजनेस माहौल बेहतर बनाने और इन्वेस्टमेंट आकर्षित करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च बढ़ाया जाना चाहिए।

मेक इन इंडिया कैम्पेन भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को सपोर्ट कर सकता है। इसमें घरेलू डिमांड और पॉलिसी रिफॉर्म्स से मदद मिलेगी। वर्ल्ड बैंक ने अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट में कहा है कि महंगाई में नरमी और 7 वें पे-कमीशन की सिफारिशें लागू होने से इनकम और कंज्म्प्शन में बढ़ोतरी होगी।

नोटबंदी से बैंकिंग सिस्टम में बढ़ेगी लिक्विडिटी

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी का मिड टर्म में बैंकों को फायदा होगा। उनकी लिक्विडिटी में बढ़ोतरी आ सकती है। बैंकों के लिक्विडिटी बढ़ने से कर्ज सस्ता करने और इकोनॉमिक एक्टिविटी को तेज करने में मदद मिलेगी।

भारत में 80 फीसदी से ज्यादा ट्रांजैक्शन कैश में होता है। इसलिए शॉर्ट टर्म में नोटबंदी के चलते बिजनेस प्रभावित हो सकता है। साथ ही साथ इकोनॉमिक एक्टिविटी में सुस्ती आएगी और ग्रोथ पर भी इसका असर होगा।

अटक सकते हैं रिफॉर्म्स

वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि बड़े पैमाने पर करंसी को सिस्टम से बाहर निकालने और उनकी जगह नई करंसी लाने का असर अन्य दूसरे इकोनॉमिक रिफॉर्म्स पर पड़ सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, लेबर और लैंड रिफॉर्म जैसे बिल अटक सकते हैं।

नोटबंदी का असर तीसरे क्वार्टर की ग्रोथ पर हुआ है। कमजोर इंडस्ट्रियल प्रोडक्टशन और मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का चौथे क्वार्टर (जनवरी-मार्च 2017) में दिखाई देगा।

ग्लोबल ग्रोथ 2.7 फीसदी रहने का अनुमान

वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2017 में ग्लोबल ग्रोथ 2.7 फीसदी रह सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल ट्रेड, इन्वेस्टमेंट में सुस्ती और पॉलिसी लेवल पर अनिश्चितता के चलते यह साल वर्ल्ड इकोनॉमी के लिए मुश्किल भरा रहेगा।

Source: Money Bhaskar