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फिक्की-पीडब्ल्यूसी रणनीति एवं सर्वेः भारत का मैन्युफैक्चरिंग बैरोमीटर आशावाद के माहौल को दर्शाता है!

नई दिल्ली, 25 अप्रैल, 2017: पिछले वर्षों की तरह इस साल भी भारत अर्थव्यवस्था का चमकीला बिंदु बना हुआ है, कई साहसी लेकिन अवरोधक सुधारों के बावजूद। चौथे फिक्की-पीडब्ल्यूसी स्ट्रेटजी एंड इंडिया मैन्युफैक्चरिंग बैरोमीटर (आइएमबी) सर्वे से यह खुलासा हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार साल 2016 में विश्व अर्थव्यवस्था में महज 2.2% की बढ़ोतरी हुई है-यह साल 2009 की मंदी के बाद का अब तक का सबसे कम वृद्धि दर है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके कोर सेक्टर के बारे में नजरिया 2016-17 में आशावादी बना हुआ था। सरकार बड़े पैमाने पर नीतिगत सुधारों की तैयारी कर रही है, लेकिन कुल मिलाकर आर्थिक वातावरण अनुकूल बना हुआ है। वैसे तो नोटबंदी से शॉर्ट टर्म के लिए सुस्ती आई है, लेकिन अर्थव्यवस्था की लांग टर्म की संभावनाएं उम्मीदपरक बनी हुई हैं।

सर्वे के 63%  प्रतिभागी अगले साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के लिए कुछ हद तक आशावादी थे, जो पिछले वर्ष (58%) की तुलना में बड़े उछाल को दर्शाता है। करीब 25%  प्रतिभागी भारतीय अर्थव्यवस्था की भविष्य की संभावनाओं को लेकर बहुत आशावादी थे।

एक बड़े हिस्से का यह मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 से 8 फीसदी के बीच होगी। इसके विपरीत 62%  प्रतिभागियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में अनिश्चितता जाहिर की-यह पिछले साल से 8 फीसदी ज्यादा है। इस सर्वे में आठ प्रमुख सेक्टर की कंपनियों को शामिल किया गया थाः ऑटोमोटिव और ऑटो कम्पोनेन्ट्स, केबल्स और ट्रांसफॉर्मर्स, कैपिटल गुड्स, सीमेंट, केमिकल्स, डाउनस्ट्रीम मेटल्स, पैकेजिंग और प्लास्टिक तथा पॉलीमर्स।

पीडब्ल्यूसी स्ट्रैटजी ऐंड (इंडिया) के पार्टनर निलेश नार्वेकर ने इस बारे में कहाः “पिछले साल की तुलना में इस साल वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में ज्यादा आशावाद दिख रहा है। अपने मजबूत प्रदर्शन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था ने कारोबारी प्रमुखों के बड़े वर्ग में भरोसा कायम किया है।

मैन्युफैक्चरिंग उद्योग नए उत्पादों/सेवाओं, आरऐंडडी, आईटी और अपने कारखानों के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। ऐसे में जब उद्योग जगत अपने को जीएसटी लागू होने जैसे तात्कालिक बदलावों के लिए तैयार कर रहा है, सरकार से प्रमुख अपेक्षा यह है कि वह एक स्पष्ट, स्थिर नीति का वातावरण तैयार करे जिससे लांग टर्म के कारोबार और निवेश की योजना बनाने में मदद मिल सके।”

मेक इन इंडिया अभियान के बारे में धारणा सकारात्मक बनी हुई है-85 फीसदी प्रतिभागी इसे भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन की तरह देखते हैं। सर्वे से इसके अब तक के असर और जरूरी कदमों के बारे में भी आइडिया मिला है। एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है इंडस्ट्री 4.0 को अपनाना-इसे बेहतर तरीके से समझें तो यह उत्पादों के जीवन चक्र के समूचे वैल्यू चेन पर नए स्तर का संगठन और नियंत्रण होता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों की व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।

फिक्की की मैन्युफैक्चरिंग कमिटी के चेयरमैन और डालमिया सीमेंट भारत लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर पुनीत डालमिया ने कहाः “सरकार की नीतियों और परियोजनाओं से शहरीकरण, स्मार्ट सिटी, डिजिटाइजेशन आदि क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नए अवसर मिल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि पिछले कुछ महीनों में सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों और परियोजनाओं से इस सेक्टर में भी सुधार देखा जा सकेगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार दुनिया भर में सबसे तेज वृद्धि दर में से एक हासिल करने जा रही है, लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी, ऊंचे ब्याज दर और बिजली की लागत की वजह से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गति सुस्त बनी हुई है। हालांकि इन सभी क्षेत्रों पर सरकार सक्रियता से निगाह रखे हुए है और हमें उम्मीद है कि सरकार मांग को बढ़ाने के लिए भारी निवेश करेगी। पहली बार ऐसा हो रहा है कि मैन्युफैक्चरिंग में निजी क्षेत्र का निवेश सरकारी क्षेत्र के मुकाबले पिछड़ रहा है। मैं अपने सभी उद्योगपति मित्रों से निवेदन करता हूं कि वे कुछ जोखिम उठाएं और लांग टर्म का नजरिया रखते हुए निवेश करें, क्योंकि हमारे सामने एक चमकीला भविष्य दिख रहा है।”

सर्वे में शामिल करीब 66% प्रतिभागियों का यह मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मध्यम आर्थिक तरक्की हो रही है, जबकि पिछले साल सिर्फ 58% प्रतिभागियों का ऐसा मानना था। सर्वे के अन्य प्रमुख बिंदुः

भारत की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां अब इनोवेशन और नई टेक्नोलॉजी के विकास से तरक्की की अगुवाई कर रही हैं। पिछले साल के 51%  की तुलना में इस बार 66% प्रतिभागियों ने बताया कि वे अगले साल नए उत्पाद/सेवाएं लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। 52%  प्रतिभागियों ने कहा कि वे आइटी में निवेश बढ़ाएंगे, जबकि पिछले साल सिर्फ 21%  ने ऐसा कहा था। करीब 86%  प्रतिभागी यह उम्मीद कर रहे हैं कि अगले 3-5 साल में इंडस्ट्री 4.0 में निवेश बढ़ेगा, जबकि 45% प्रतिभागी उम्मीद करते हैं कि उनको आमदनी में बढ़त और लागत में कमी/कार्यक्षमता में सुधार, दोनों तरह से फायदे होंगे।