सरकार जीडीपी और जीवीए सहित देश के नेशनल अकाउंट्स के लिए बेस ईयर में पहले ही बदलाव कर चुकी है।
बदल जाएगा बेस ईयर
आईआईपी में मासिक आधार पर इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज का आकलन किया जाता है। एक अधिकारी ने बताया कि इस नई सीरिज को चीफ स्टैटिस्टीशियन और एमओएसपीआई सेक्रेटरी टीसीए अनंत द्वारा लॉन्च किया जाएगा। एक उच्च स्तरीय पैनल ने नए बेस ईयर 2011-12 के साथ आईआईपी के लिए मेथडोलॉजी तैयार की है।
इकोनॉमिक एक्टिविटीज के आकलन में मिलेगी मदद
आईआईपी के लिए बेसलाइन में बदलाव से इकोनॉमिक एक्टिविटी के स्तर और नेशनल अकाउंट्स जैसे अन्य आंकड़ों में ज्यादा सटीकता आने का अनुमान है।
थोक महंगाई (होलसेल प्राइस इंडेक्स या डब्ल्यूपीआई) के लिए बेस ईयर को 2011-12 में बदलाव का कार्य प्रगति पर है।
सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) ने ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) और ग्रॉस वैल्यु एडिशन (जीवीए) सहित देश के नेशनल अकाउंट्स के लिए बेस ईयर में पहले ही बदलाव कर दिया है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) पर आधारित रिटेल इनफ्लेशन की गणना भी 2011-12 के बेस ईयर पर की गई है।
इकोनॉमिस्ट्स करते रहे हैं नई सीरीज की वकालत
इकोनॉमिस्ट्स और थिंक टैंक्स लंबे समय से आईआईपी की नई सीरीज जारी किए जाने की वकालत करते रहे हैं, जिससे जीडीपी के नंबर ज्यादा सटीक और वास्तविक हो सकते हैं।
समय के साथ टेक्नोलॉजिकल चेंजेस, इकोनॉमिक रिफॉर्म्स और लोगों के कंसम्प्शन के पैटर्न के आधार पर इंडस्ट्री के स्ट्रक्चर और कंपोजिशन में होने वाले बदलावों के मद्देनजर बेस ईयर में बदलाव किया जाता है।
आईआईपी बेसिक, कंज्यूमर और कैपिटल गुड्स जैसे विभिन्न प्रकार के गुड्स के आउटपुट का व्यापक आउटलुक देता है, जिससे इकोनॉमिक प्रोग्रेस और इकोनॉमी में निवेश का आकलन करने में मदद मिलती है।
Source: Money Bhaskar