महिला दिवस पर वीमेन एंटरप्रनर्स सम्मेलन को संबोधित करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि एसएमई के लिए इक्विटी ना होना एक बड़ी समस्या है। यह इस सेक्टर की ग्रोथ ना बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। एसएमई इकाईयों को इक्विटी और कैपिटल की जरुरत है जिसकी भारत में भी बहुत कमी है।
वर्तमान में, एसबीआई की बैलेंस शीट में लगभग 55 प्रतिशत रिटेल और एमएसएमई सेगमेंट शामिल हैं। 45 प्रतिशत बडी कंपनियां है।
भट्टाचार्य ने कहा कि मेरा झुकाव अब रिटेल सेक्टर की तरफ ज्यादा है।
बैंकिंग क्षेत्र अपनी कॉर्पोरेट लोन बुक में तनाव के दौर से गुजर रहा है। बैंक और सरकार मुद्रा लोन के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने के लिए उपेक्षित एमएसएमई सेगमेंट को वित्तीय मदद देने के इच्छुक हैं। ये ऋण 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक हैं।
भट्टाचार्य ने आगे बताया कि वर्तमान में, एसबीआई की तरफ से एमएसएमई सेक्टर को 1,60,000 करोड़ रुपये दिया गया है। जिसमें से 10,000 करोड़ रुपये हमने इस वर्ष में दिये हैं।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र ने इस अवसर पर कहा कि बैंकों को एसएमई के क्षेत्र में लोन देना चाहिए क्योंकि यह सबसे ज्यादा रोजगार सृजन करने वाला क्षेत्र है और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार सिडबी के माध्यम से सहायता प्रदान कर रही है, बीमार एमएसएमई इकाइयों को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार की कार्य योजना में एसएमई इकाईयों के पुनरुद्धार और पुनर्वास सुविधाएं सुधारात्मक कार्रवाई समितियों की स्थापना आदि शामिल हैं। इस कदम से स्माल ट्रेडर्स, व्यापारी और सब्जी विक्रेताओॆ को फायदा होगा।
भारतीय स्टेट बैंक का कहना है कि जन धन खातों का बैंक पर पड़ने वाले दबाव को कम करने के लिए खाता धारकों के लिए मिनिमम बैलेंस को खाते में रखने के लिए कहा गया है। अगर खाता धारक ऐसा नहीं करेंगे तो उनसे बैंक शुल्क वसूल करेंगे।