रिपोर्ट के अनुसार हस्तशिल्प निर्यात एक साल पहले 2.67 अरब डॅालर था जिसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान 8.3 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुयी है। यह बढ़ोत्तरी पूरे टेक्सटाइल और गारमेंट सेक्टर से भी ज्यादा है।
EPCH के डायरेक्टर राकेश कुमार ने कहा, “पिछली तिमाही में हेंडीक्राफ्ट सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन दिखाया है। हमें उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में 3.60 अरब डॅालर का जो हमारा लक्ष्य है उसे प्राप्त कर लेंगे।” हेंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट डाटा में जेम्स एण्ड़ ज्वैलरी और कारपेट सेक्टर का डाटा भी शामिल है।
कुमार ने कहा है कि साल 2017-18 में हेंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट 10 फीसदी की वृद्धि के साथ 4 बिलियन डॅालर तक पहुँच सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर कपड़ा और परिधान क्षेत्र (जो की हस्तकला एक हिस्सा है) के निर्यात में हाल के महीनों में कमी देखी गयी है। देश के कुल माल निर्यात में अप्रैल और दिसंबर के दौरान मात्र .75 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है जो की एक साल पहले 198.8 बिलियन डॅालर था।
कुमार ने आगे कहा कि आकर्षक डिजाइन, गुणवत्ता वाले उत्पादों और बेहतर तरीके से प्रमोशन ने हाल के वर्षों में हस्तशिल्प निर्यात को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख बाजारों में अपनी स्थिति को मजबूत बनाने आलावा हम आने वाले वर्षों में निर्यात को बढ़ाने के लिए लैटिन अमेरिका, जापान आदि जैसे अपेक्षाकृत नए बाजारों में अपनी मौजूदगी मजबूत करने की कोशिश भी कर रहे हैं।
2008 में आये वित्ताय संकट के बाद हेंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट के निर्यात में हाल के समय बेहतरीन वृद्धि हुयी है। पिछले पांच वर्षों में आउटबाउंड शिपमेंट (विदेश जाने वाला माल) दोगुनी हो गयी हैं। अगर आंकड़ो में देखें तो हेंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट साल 2010-11 से 2015-16 के बीच तीन गुना बढ़कर लगभग 20, 368 करोड़ रूपये का हो गया है।