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महाराष्ट्र: राज्य खादी बोर्ड स्थानीय उद्योगों को देगा बढ़ावा, बनायी योजना

महाराष्ट्र राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (एमएसकेवीआई) ने राज्य के बीमार घरेलू उद्यमों और गांव के उद्योगों को पुनर्जीवित करने की योजना बनायी है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एमएसकेवीआई बोर्ड ने स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं भी तैयार की हैं। वहीं सोलर चरखा के माध्यम से खादी उत्पादन बढ़ावा देने और सुस्त पड़े क्लस्टरों को दुरस्त करने का निर्णय लिया है।

कोल्हापुरी चप्पल के बाद बोर्ड अब पश्चिमी घाटों पर मधुमक्खी पालने वाले लोगों, भद्रवती के कुम्हारों और अमरावती की खादी महिला बनकरों  को प्रोत्साहित करेगा।

बोर्ड खादी व अन्य गांव आधारित उद्योगों के क्लस्टर के विकास पर विचार कर रहा है। एमएसकेवीआई बड़े पैमाने पर क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की नोडल एजेंसी है।

पिछले साल, राज्य सरकार ने अमरावती में कस्तूरबा महिला बचत गत (स्वयं सहायता समूह) से जुड़ी अनुसूचित जाति वाली महिलाओं को 130 सौलर चरखा वितरित किये थे।

कस्तूरबा महिला बच गत से जुड़े एस दल्वी ने कहा है कि सोलर चरखा के माध्यम से नवाचार और खादी सेक्टर को बल मिला है। इससे न सिर्फ खादी का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि बुनकरों को भी सहायता मिलेगी।

एमएसकेवीआई के एक अधिकारी ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत हमारा उद्देश्य महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने का था। इसके जरिए खादी बिक्री में भी वृद्धि हुई। लेकिन पिछले कई सालों से खादी से जुड़े बुनकरों की संख्या में कमी हुयी है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव उत्पादकता पर पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तर्ज पर हमने सोलर चरखा वितरित करने की योजना बनाई है। योजना के माध्यम से उत्पादकता बढ़ेगी। और स्थानीय बुनकरों का विकास होगा।