प्रेसिडेंट विश्वविद्यालय दो सौ साल के प्रतिष्ठान सामारोह के अवसर पर यूनुस ने कहा कि इससे धन का संचार गरीबों में बढ़ेगा।
माइक्रो क्रेडिट की अवधारणा का मार्ग प्रशस्त करने वाले युनूस ने बताया कि केवल सामाजिक व्यापार ही एक ऐसा जरिया है जिससे धन और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने कहा, “व्यापार पूंजीवाद की तुलना में सामाजिक व्यवसाय सभी के लिए लाभदायक है, आज बेरोजगारी एक नकली मुद्दा बनकर रह गयी है, जिसे समाजिक प्रणाली के माध्यम से बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा था।”
बेरोजगारी के एक बड़ा मुद्दा बताते हुए युनूस कहतें हैं, “आज क्यों युवा नौकरियों को ढूंढ रहे हैं? उन्हें तो लोगों के लिए नौकरियों को पैदा करना चाहिए। इस गलत सोच ने आज हम सभी को गलत दिशा में पहॅंचा दिया है। हमें पहले नौकरियों को पैदा करने वाला बनना है न कि उन्हें ढूँढने वाला।”
विख्यात अर्थशास्त्रियों के अनुसार गरीबी गरीब लोगों के कारण नहीं है। यह तो सिस्टम के द्वारा बनाई गई है जिसका शिकार गरीब आदमी हुआ है।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, दुनिया तरक्की की दिशा में आगे बढ़ रही थी। लेकिन ट्रम्प की जीत ने इस दिशा में हमारी चिंता बढ़ा दी है।
बांग्लादेश के मोहम्मद युनुस को 2006 में ग्रामीण बैंक के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार पुरस्कार मिला था। उन्होंने इस बैंक के साथ ग्रामीण लोगों को छोटे ऋण उपलब्ध कराने में बहुत बड़े स्तर पर कार्य किया है।