एसोचैम ने एक विज्ञप्ति में कहा, “तत्काल प्रभाव में बड़े नोटों के विमुद्रीकरण का लघु और मध्यम उद्योगों, ग्रामीण खपत और रोजगार सृजन पर नकारात्मक असर होगा, जबकि कॉरपोरेट भारत के बड़े संगठित क्षेत्रों को दीर्घ अवधि में इसका लाभ मिलेगा। एसोचैम-बिजकॉन के नवीनतम सर्वेक्षण में यह पाया गया है।”
एसोचैम ने कहा, “सर्वे में शामिल 81.5 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि लघु और मध्यम उद्यमों पर इसका नकारात्मक असर होगा और एक अतिरिक्त तिमाही तक इसका असर रहेगा। वहीं, इतनी ही संख्या में प्रतिभागियों ने कहा कि बड़े उद्योगों पर नोटबंदी का सकारात्मक प्रभाव होगा।”
सर्वेक्षण में जहां यह बात सामने आई है कि लंबी अवधि में नोटबंदी का बेहतर असर होगा वहीं इसमें एक और विरोधाभास सामने आया है।
इसके अनुसार ‘प्रतिभागियों में से 66 फीसदी से अधिक ने कहा कि नोटबंदी का निवेश पर नकारात्मक असर होगा और इसके कारण उपभोक्ता मांग कम होगी, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में।’
एसोचैम के मुताबिक, ‘कुल मिलाकर बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने माना कि इसके असर के कारण वर्तमान वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में बिक्री में भारी मात्रा में गिरावट आएगी।’
बिजकॉन सर्वे के 92 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि नोटबंदी का मुद्रास्फीति पर सकारात्मक असर होगा।
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “अर्थव्यवस्था जब प्रवाह की स्थिति में होती है, तब वास्तविक स्थिति का पता लगाना एक चुनौती होती है। हालांकि हमारा सर्वेक्षण एक स्तर तक तनाव की ओर इशारा करता है, लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अच्छा रहा या बुरा।”
उन्होंने कहा, “वर्तमान में कुछ क्षेत्रों पर इसका प्रभाव नजर आ रहा है, जबकि अन्य इससे बचे हुए हैं।” नोटबंदी के क्षेत्रीय प्रभाव के मुद्दे पर सर्वे में पाया गया है कि कृषि, सीमेंट, उर्वरक, वाहन, टेक्सटाइल और खुदरा क्षेत्रों में इसका प्रभाव नकारात्मक रहेगा, जबकि ऊर्जा, तेल और गैस, औषधि, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स और बुनियादी ढांचे पर इसका सकारात्मक असर रहेगा।
Source: The Economic Times