इस पहल से भारत में साइबर सिक्योरिटी स्टार्टअप की नई लहर लाने के लिए अनुसंधान, वित्त पोषण और उद्योग एक प्लेटफॉर्म पर आएंगे।
अमृता यूनिवर्सिटी के टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर (टीबीआई) के सीईओ कृष्णाश्री अच्युतन ने कहा कि इस समय देश में 4,000 से ज्यादा स्टार्टअप हैं, लेकिन उनमें मुश्किल से 100 साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम कर रही हैं और उत्पाद बना रही हैं।
दुनियाभर में साइबर क्षेत्र में हर मिनट जंग हो रही है, इसलिए साइबर सिक्योरिटी रणनीतिक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गई है। भारत को आर्थिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर इस चुनौती से निपटना होगा।
उन्होंने कहा कि अमृता यूनिवर्सिटी के नए साइबर सिक्योरिटी स्टार्टअप केंद्र से हमें नवप्रवर्तन, अनुसंधान और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में स्टार्टअप का नया दौर शुरू करने में मदद मिलेगी, जिससे हम एक अहम राष्ट्रीय जरूरत पूरी कर पाएंगे। दुनियभर में साइबर सिक्योरिटी उद्योग करीब 70 अरब डॉलर का है।
हर साल साइबर अपराध और धमकियों की वजह से 400 अरब डॉलर का नुकसान होता है। यह नुकसान 2020 तक 20 खरब डॉलर होने का अनुमान है।
अच्युतन ने कहा कि क्लाउड सेवाओं और स्टोरेज को अपनाने से डाटा को सुरक्षित रखने की चुनौती पैदा होती है। काफी बड़ी तादाद में डाटा इंटरनेट पर विभिन्न देशों में स्थित सर्वरों पर घूम रहा है, जिसका एनक्रिप्शन मामूली या खामियों से भरा हुआ है। इन आंकड़ों को सुरक्षित करने के लिए उतनी तेजी से कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जितनी तेज क्लाउड सेवाओं की वृद्धि है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) की शुरुआत भी एक अन्य चुनौती है। नए डिवाइसों को रोजाना इंटरनेट से जोड़ा जा रहा है, इसलिए जोखिमों पर निगरानी रखना मुश्किल है। इस तरह कंप्यूटर डाटा की सुरक्षा और संरक्षण एक गंभीर चुनौती बन गई है।
भारत में वर्ष 2015 में साइबर सिक्योरिटी से संबंधित करीब 50,000 घटनाएं हुईं। अब तक देश में 26,000 से ज्यादा वेबसाइट को डीफेस किया जा चुका है और 91 लाख सिस्टम वायरस से प्रभावित पाए गए हैं। सबसे बदतर स्थिति यह है कि सभी साइबर अपराधों में से 80 फीसदी की शिकायत दर्ज नहीं कराई जाती। मजबूत सॉफ्टवेयर सुरक्षा और सुरक्षा तकनीकों के बिना सभी सॉफ्टवेयर आधारित सिस्टम हैकरों और स्पाई के हमलों की जद में हैं।
अमृता यूनिवर्सिटी का साइबर सिक्योरिटी स्टार्टअप केंद्र घरेलू स्तर पर उत्पाद विकास, ऑडिट एवं अनुपालना परीक्षण और टेस्ट बेड्स के सृजन को बढ़ावा देगा। यह मोबाइल, क्लाउड, साइबर फिजिटल सिस्टम्स, डिजिटल फॉरेंसिक्स, क्रिप्टोग्राफी, मैलवेयर विश्लेषण आदि पर ध्यान केंद्रित करेगा।
अमृता यूनिवर्सिटी का टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर (टीबीआई) उन 6 इनक्यूबेटर में से एक है, जिन्हें नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) के तहत विश्व स्तरीय बनाया जाएगा।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के मुताबिक इसका मकसद इन छह दुर्लभर इनक्यूबेटर्स को वित्तीय मदद मुहैया कराकर भारत में स्टार्टअप तंत्र को में बड़ा सुधार लाना है और उन्हें वैश्विक मानकों के स्तर का बनाना है। इनमें से प्रत्येक को दो साल तक 10-10 करोड़ रुपये मिलेंगी, जिससे शुरू होने वाली नई स्टार्टअप को बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।
इसी पहल के तहत अमृता यूनिवर्सिटी के साइबर सिक्योरिटी केंद्र की स्थापना की जा रही है। अमृता यूनिवर्सिटी के टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर केंद्र द्वारा समर्थित और स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत मान्यता प्राप्त है। यह भारत की उन कुछेक बिजऩेस इनक्यूबेटर्स में से एक है, जो स्टार्टअप को अपने विचारों/उत्पादों/सेवाओं को प्रदर्शित करने और धन हासिल करने के लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म मुहैया कराती है। अन्य टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर्स का दायरा केवल क्षेत्रीय बाजारों तक ही सीमित है।
अमृता के टीबीआई को अब तक के अपने निवेश पर कोई घाटा नहीं हुआ है। अमृता टीबीआई पिचफेस्ट का आयोजन 2012 से किया जा रहा है। यह देशभर की स्टार्टअप के लिए अपना अनोखा आइडिया प्रदर्शित करने, शुरुआती निवेश हासिल करने और अमृता यूनिवर्सिटी के टेक्नोलॉजी बिज़नेस इनक्यूबेटर में इनक्यूबेशन जगह हासिल करने का सालाना प्लेटफॉर्म है।
रैन्समवेयर साइबर हमला कर रहा आगाह: माइक्रोसॉफ्ट
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माइक्रोसाफ्ट ने कहा है कि दुनिया के कई देशों को प्रभावित करने वाले साइबर हमले ‘रैन्समवेयर’ को देखते हुए सरकारों को सतर्क हो जाना चाहिए। इस साइबर हमले से 150 से अधिक देशों में 2,00,000 इकाइयां प्रभावित हुई हैं।
माइक्रोसॉफ्ट के एक्सपी जैसे पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले कंप्यूटर इस मालवेयर से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। इसके प्रभावित होते ही कंप्यूटर की सभी फाइल लॉक हो जा रही हैं। इसकी पहचान सबसे पहले अमेरिकी खुफिया विभाग ने की।
समाचार चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय सिक्योरिटी एजेंसी (एनएसए) ने माइक्रोसाफ्ट को तीन महीने पहले इस बारे में सतर्क किया था। माइक्रोसाफ्ट ने स्थिति से निपटने के लिए एक उन्नत संस्करण जारी किया लेकिन कई उपयोगकर्ताओं ने इसे अबतक डाउनलोड नहीं किया।
Source: Business Standard