रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण आबादी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 20 नए मॉडल के चरखा और पांच करघे जयापुर गांव की कृषक विकास ग्रामोद्योग संस्थान को दिए गए थे। वहीं 50 स्थानीय महिलाओं को चरखा को चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
महिलायें प्रशिक्षण के बाद 170 से 200 रु प्रतिदिन कमा रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि जयापुरा की एक संस्था को 10 सिलाई मशीने दी गयी हैं। जिसके जरिए 20 स्थानीय महिलाओं को सिलाई करना सिखाया जाता है।
रिपार्ट में कहा गया है कि इन गतिविधियों के माध्यम से अंतिम वर्ष में केवीआईसी ने जयापुर गांव के 70 लोगों को प्रत्यक्ष रुप से रोजगार दिया है और 10 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा किये हैं।
नवंबर 2016 में केवीआईसी ने जयापुर में 20 सेलर चरखा व पांच करघों के साथ एक सोलर प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की। केवाआईसी के सर्वेक्षण में कहा गया है कि 110 महिलाओं को चोलर चरखा से कार्य करने की योग्यता और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत ऋण उपलब्ध कराया गया है।
परियोजना के तहत इच्छुक ग्रामीणों को चरखा, लूम व अन्य उपकरण दिए जाते हैं जिनकी सहायता से वे छोटे उद्योगों की स्थापना कर सकते हैं। जिसमें मोमबत्ती, अगरबत्ती और बेकरी आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट मे कहा गया है कि कनकरिया गांव में जनवरी में स्थापित हुये सोलर चरखा ट्रेनिंग सेंटर जिसमें 25 सोलर चरखा और पांच लूम मोजूद हैं के जरिए 100 महिलाओं को ट्रेनिंग दी गयी है। केवीआईसी ने इन दोंनों गांवों की रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए 10 बायो गैस संयंत्र की मरम्मत के साथ पांच बायो गैस संचत्रो को स्थापित किया गया है।