मंत्रालय का कहना है कि डॉक्टर्स के कोट से लेकर साबुन तक हर चीज अब खादी की बनी खरीदनी होगी।
मंत्रालय ने यह आदेश बुधवार को जारी किया है। पीजीआई चंडीगढ़, जिप्मेर पांडुचेरी और निमहांस बेंगलुरू के अलावा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सहित कम से कम 23 अस्पतालों को इस नियम के तहत शामिल किया गया है।
नियम के अनुसार 45 प्रोडेक्टस को उपयोग के लिए अस्पतालों व स्वास्थय मंत्रालय से जुड़ी हुयी संस्थानों के लिए संचरित किया गया है। जिसमें मरीजों और डॉक्टर्स के उपयोग के लिए कबंल, विभिन्न प्रकार के साबुन, पर्दे और गाउन आदि शामिल हैं।
सूची को अंतिम रुप से पिछले साल गठित की गयी समिति की सिफारिश के आधार पर तैयार किया गया।
यह खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा प्रचारित खादी को बढ़ावा देने वाला बड़ा संस्थागत आदेश है।
केवीआईसा ने नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद कई सार्वजनिक सेक्टर्स जैसे ओएनजीसी (52 करोड़), सरकारी डिपार्टमेंट रेलवे (42 करोड़) से खादी के बड़े ऑर्डर्स प्राप्त किये हैं।
लेकिन केवीआईसी का साफ़ कहना है कि उनको अधिकतर आर्डर नामांकन के तहत नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त हुये हैं। केवाआईसी अगर उत्पादन की सप्लाई 150 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ अस्पतालों को कर पाती है तो इससे चालू वित्तीय वर्ष की बिक्री में 7 फीसदी की वृद्दि होगी।
पिछले साल खादी उत्पादों की बिक्री लगभग 1500 करोड़ की हुई थी जिसमें चालू वित्तीय वर्ष में 35 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। खादी की सेल में इस प्रकार की यह तेजी सरकार द्वारा बाते कुछ सालों में खादी को प्रोत्साहित करने के कारण हुई है।
खादी की मांग एक तेज गति से बढ़ रही है, वहीं उत्पादन प्रक्रीया बहुत धीमी है जो कि केवीआईसी के लिए एक प्रमुख चुनौती है।
मिनिस्ट्री आफ हेल्थ द्वारा खादी को अस्पतालों व कार्यरत स्टॅाफ के लिए उपयोग में लेना यह बताता है कि खादी प्राकृतिक और जैविक त्वचा के अनुकूल कपडा है।