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स्‍मॉल इंडस्‍ट्री के लिए अलग से बनेगा लैंड बैंक, मोदी सरकार का नया एक्‍शन प्‍लान

अब स्मॉल इंडस्ट्री लगाने के लिए जमीन की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। हर स्टेट में स्मॉल एंड मीडियम इंडस्ट्री के लिए लैंड बैंक बनाया जाएगा, ताकि इंडस्ट्री लगाने के लिए आसानी से सस्ती जमीन उपलब्ध हो सके। इसके लिए मोदी सरकार जल्द ही एक एक्शन प्लान की घोषणा कर सकती है। माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) मिनिस्ट्री द्वारा इस तरह का प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसे कैबिनेट के पास भेजा जाएगा।

कहां से आया प्रस्ताव

मिनिस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, एमएसएमई सेक्टर के लिए लैंड बैंक बनाने की सिफारिश प्रभात कुमार कमेटी ने की थी। पूर्व राज्यपाल प्रभात कुमार के नेतृत्व में बनी इस एक सदस्यीय कमेटी को एमएसएमई सेक्टर के लिए नेशनल पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। इस ड्राफ्ट में कमेटी ने सिफारिश करते हुए कहा था कि स्मॉल एवं मीडियम इंडस्ट्री को या तो जमीन नहीं मिलती या जमीन की कीमतें काफी अधिक होने के कारण उन्हें अनऑथराइज्ड एरिया में इंडस्ट्री लगानी पड़ती है, जहां उन्हें सुविधाएं नहीं मिलती। ऐसे में, हर राज्य में एमएसएमई सेक्टर के लिए लैंड बैंक बनाया जाए।

बोर्ड ने दी मंजूरी

प्रभात कुमार कमेटी की यह सिफारिश पिछले दिनों एमएसएमई मिनिस्टर कलराज मिश्र की अध्यक्षता में हुई नेशनल बोर्ड फॉर एमएसएमई की बैठक में रखा गया। बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

मिनिस्ट्री ने की तैयारी

मिनिस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड की मंजूरी के बाद अब प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और जल्द एक पॉलिसी बना कर कैबिनेट के पास भेजा जा सकता है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस पॉलिसी को राज्यों में लागू करने की अपील की जाएगी। मिनिस्ट्री अधिकारियों के मुताबिक, कुछ राज्यों पर पहले से ही इस पर विचार विमर्श चल रहा है और राज्य सरकारें इसे लागू करने के लिए तैयार हैं। ऐसे में, सभी राज्य इस पर सहमत हो सकते हैं।

क्या होगा फायदा

सरकार यदि इस तरह की पॉलिसी लागू करती है कि स्पेशल इकोनॉमिक जोन की तर्ज पर शहरों में कुछ ऐसे जोन बनाए जा सकते हैं, जहां केवल माइक्रो, स्मॉल एवं मीडियम इंडस्ट्री को ही जमीन दी जाएगी। इसके अलावा हर इंडस्ट्रियल एरिया में भी एमएसएमई सेक्टर के लिए लैंड रिजर्व की जाएगी। इससे जहां आसानी से और सस्ती कीमत पर छोटे कारोबारियों को जमीन मिल जाएगी, वहीं सरकारों को भी अनऑथराइज्ड एरिया में लगे कारखानों की वजह से परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

Source: Money Bhaskar