इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रीमंड़ल ने बडे इन्वेस्टमेंट (लगभग 1बिलियन USD) को आकर्षित करने के लिए कमेटी का गठन भी किया है। जिसका संचालन कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अध्यक्षता में किया जाएगा।
समिति में नीति आयोग साईओ अमिताभ कान्त, फाइनेंस सेक्रेटरी अशोक लवासा व सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) के सचिव अरुणा सुंदरराजन शामिल होंगे।
जुलाई 2012 में योजना के इस दूसरे संशोधन को पेश किया गया था, जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त हों और 2020 तक सरकार इलेक्ट्रॅानिक्स में जीरो आयात के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके। संसोधन में 10 हजार करोड़ रूपये की रियायतें व योग्य एप्लीकेशन्स को 120 दिनों में पास करना शामिल है।
अब तक, MSIPS के तहत 243 आवेदन प्राप्त हुईं हैं। जिनमें से 17, 997 करोड़ रुपये के निवेश के 75 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। सरकार ने कहा है कि 31 दिसंबर 2018 तक योजना के लिए एप्लीकेशन ली जायेंगी।जिसके बाद वित्तीय सहायता के बारे में फैसला लिया जाएगा।
क्लीयरेंस विंडो पर, सरकार ने कहा है कि प्राप्त एप्लीकेशन अगर सही है तो उसे 120 दिनों के अन्दर अनुमति दे दी जाएगी।
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार उत्पादों के लिए वर्तमान मांग $ 100 अरब से अधिक है जो कि वर्ष 2020 तक करीब 400 अरब डालर तक पहुंच जाएगी।
सरकार ने 2012 में M-SIPS स्कीम को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण क्षेत्र (ईएसडीएम) को बड़े स्तर पर प्रमोट करने व बढावा देने के लिए विशेष पैकेज को मंजूरी दी थी।
इस योजना के तहत पूंजीगत व्यय के लिए स्कीम में सेज (SEZ) क्षेत्र में निवेश के लिए 20% और गैर-सेज में 25% सब्सिडी प्रदान करता है।
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