निटवियर उद्योग जिसमें मुख्य रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों यानी एसएमई इकाइयाँ काम करती हैं, को पहले की स्कीमों में ज्यादा वरीयता नहीं दी गई थी। इसीलिए विशेषज्ञों का कहना है कि अलग से निटवियर क्षेत्र के लिए पैकेज जीएसटी के साथ मिलकर इस क्षेत्र को फ़ायदा पहुंचा सकता है।
उम्मीद है कि पैकेज से अगले 3 सालों में लगभग 1 करोड़ नई नौकरियां और 73000 करोड़ रूपये का इन्वेस्टमेंट आएगा।
मंत्री ने यह भी बताया सरकार राष्ट्रीय स्तर पर टेक्सटाइल पॉलिसी पर काम कर रही है और जुलाई में टेक्सटाइल्स इंडिया समिट के आयोजन के बाद इसकी घोषणा की जा सकती है।
गौरतलब है कि कपड़ा मंत्रालय जुलाई में टेक्सटाइल सेक्टर को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए गुजरात में टेक्सटाइल इंडिया समिट का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें करीब 25 देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। सरकार इसके लिए चीन, कोरिया आदि देशों में रोड शो भी कर चुकी है।
मंत्री के अनुसार यह नई नीति कुशल श्रमिकों, श्रम सुधारों से संबंधित चिंताओं, कपड़ा क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और वस्त्रों के उद्योग के लिए एक भविष्य का रोडमैप प्रदान करेगी।
ईरानी ने बताया कि सरकार के पिछले साल जून में कपड़ा क्षेत्र को दिए गए दिए गए 6000 करोड़ रूपये के पैकेज के बाद से इस क्षेत्र में अब तक 3,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।