इस वीडियो की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी के इस सेक्टर से किये हुए वादे को दिखाया गया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि हम फॅार्म को फाईबर से फाईबर को फैब्रिक से और फैब्रिक को फैशन से जोड़कर देश के विकास में इस सेक्टर के योगदान को बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा है कि हम इस प्रकार से कार्य करेंगे कि जहां कॅाटन होगा वहीं धागा बनेगा, जहां धागा बनेगा वहां कपड़ा, जहां कपड़ा वहीं से रेडीमेड़ गारमेंट पूरे विश्व में एक्सपोर्ट किया जाएगा, जिससे मेरे किसान भाईयों कि इनकम बढ़ेगी।
टेक्सटाइल मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गये इन वादों को पूरा करने के लिए किस प्रकार से कार्य किया है, यह टेक्सटाइल मंत्रालय ने इस 5 मिनट के वीडियों में दिखाया है।
इसके अनुसार पिछले तीन सालों में भारत सरकार और वस्त्र मंत्रालय ने जिस प्रकार से कार्य किया है उससे 1 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। वहीं गारमेंट, अपेरल और मेड़-अप सेक्टर के विकास के लिए 6 हजार करोड़ रुपये का खास पैकेज दिया गया है।
टेक्सटाइल सेक्टर की उपलब्धियों में पॅावरलूम सेक्टर को और बल देने के लिए पॅावरटेक्स इंडिया पहल की शुरुआत की गयी, जिसके तहत अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को 75 फीसदी से 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने की योजना को भी शुरु किया गया है।
इसके साथ ही सौर उर्जा सिस्टम के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी वस्त्र मंत्रालय की तरफ से दी जाती है।
वीडियो में बताया गया है कि यार्न बैंक की स्थापना के तहत 2 करोड़ रुपये तक का ब्याज मुक्त कोष देने की पहल को मंत्रालय ने बल दिया है।
नार्थ-ईस्ट रीजन में टेक्सटाइल उद्यमों के विकास के लिए टेक्सटाइल प्रमोशन स्कीम के तहत त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंण्ड, अरुणांचल प्रदेश, मणिपुर, असम और मेघालय जैसे सात पूर्वोत्तर राज्यों में 18.18 करोड़ की लागत से अपेरल और गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना की गयी।
मार्च 2017 में लॅान्च हुयी बुनियाद सिल्क रीलिंग मशीन से पुरीनी सिल्क बनाने का प्रक्रिया का नवीनीकरण किया गया। साल 2016 –17 में सिल्क का उत्पादन 30,265 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है।
जूट सेक्टर के विकास के लिए वस्त्र मंत्रालय ने क्या – क्या काम किये हैं इसका ब्योरा भी वीडियो में दिया गया है। जूट आईसीएआरई प्रोग्राम के जरिए जूट की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार किया गया है, जिससे जूट किसानों की आमदनी प्रति हेक्टेयर 10 हजार बढी है। वहीं ई- गवर्नेंस पहल जूट स्मॅार्ट्स के माध्यम से जूट बैग की मांग में बढ़ोत्तरी हुयी है।
लदा्ख क्षेत्र में ऊन उद्योग को नयी पहचान देने के लिए वस्त्र मंत्रालय के पश्मीना प्रमोशन प्रोग्राम के तहत 20 करोड़ 40 लाख और पश्मीना वूल डेवलपमेंट स्कीम के तहत 13.60 करोड़ 60 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गयी है।
वीडियो में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी के इंडिया हैण्डलूम ब्रांड को प्रोत्साहित करने के बाद पारंपरिक टेक्सटाइल को नयी पहचान मिलने के साथ-साथ हस्तशिल्प कारीगरों को वैश्विक बाजार मिला है। बुनकर अब पीटर इंग्लैण्ड, एलैन सेली जैसे बड़े ब्रांड्स के साथ आज सीधा व्यापार करते हैं।
कपड़ा मंत्रालय की तरफ से बुनकरों के प्रश्नों का निराकरण करने के लिए बुनकर मित्र हेल्पलाइन और ई-धागा एप को बुनकरों को हर संभव सहायता देने के लिए शुरु किया गया है। ई- धागा एप 10 भाषाओं में उपलब्ध है।
हथकरघा संवर्धन सहायता योजना के तहत प्रशिक्षित बुनकरों को जरुरी वस्तुओं पर 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलती है। और मुद्रा योजना से कम ब्याज पर लोन भी दिया जा रहा है।
वस्त्र मंत्रालय ने हेंडलूम कारीगरों को कुशल बनाने और उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से इग्नू और एमआईओएस जैसे शिक्षण संस्थानों के साथ समझौते किये हैं। मंत्रालय वंचित वर्ग के बच्चों की फीस में 75 फीसदी की सहायता देता है।
हेंडीक्राफ्ट कारीगरों को पहचान योजना के तहत अपना पहचान पत्र मिला है।
स्किल डेवलपमेंट स्कीम के तहत 7.5 लाख लोगों को मिला प्रशिक्षण जिनमें से 5 लाख 57 हजार लोगों को उनका रोजगार मिला है। इस संख्या में महिलाओं का समावेश 70 फीसदी है। जो अपने आप में बदलते भारत की सफल तस्वीर को बयां करता है।
मोदी सरकार ने किसान, श्रमिक, बुनकर, छोटे उद्यमी और भारत के आम आदमी से सत्ता में आने पर कहा था कि उनकी सरकार सबका साथ – सबका विकास के एजेंडे से काम करेगी। इस पहल को सफल बनाने में कपड़ा मंत्रालय नें किस तरीके से अपना योगदान सरकार के तीन साल के कार्यकाल में दिया है। उसको वस्त्र मंत्रालय ने इस वीडियो के माध्यम से देश की आवाम के साथ सांझा किया है।
इसके अलावा सरकार जल्द ही निटवियर क्षेत्र के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करेगी। निटवियर उद्योग जिसमें मुख्य रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों यानी एसएमई इकाइयाँ काम करती हैं, को पहले की स्कीमों में ज्यादा वरीयता नहीं दी गई थी।
साथ ही गौरतलब है कि कपड़ा मंत्रालय जुलाई में टेक्सटाइल सेक्टर को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए गुजरात में टेक्सटाइल इंडिया समिट का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें करीब 25 देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। सरकार इसके लिए चीन, कोरिया आदि देशों में रोड शो भी कर चुकी है।