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Biz Astro | जल्द ही लौटेगें फाउंड्री उद्योग के अच्छे दिन, मेक इन इंडिया पहल से होगा फायदा

भारतीय फाउंड्री (ढलाई) उद्योग बीते पिछले वर्षों में संघर्ष के दौर से गुज़र रहा है। भारत में लगभग 5000 के करीब फाउंड्री उद्योग स्थापित है जिनमे भी लघु एवं मध्यम स्तर के उद्योगों की संख्या काफी ज्यादा है।

20 लाख से ज्यादा रोजगार के सृजन इन उद्योगों द्वारा होने के आंकड़े पाये गये है।

फाउंड्री काफी उपयोगी उद्योग है क्योंकि ये अभियांत्रिकी एवं उत्पादन में काफी मददगार भूमिका निभाता है ।

अमेरिकी एवं चीनी अर्थतंत्र के बाद फाउंड्री के क्षेत्र में भारत का नाम आता है। परन्तु वर्तमान में चीन से बढ़े आयात से भारतीय फाउंड्री उद्योग काफी मुश्किल भरे समय से गुज़र रहा है।

गत वर्षों में नकारात्मक अथवा नाम मात्र की प्रगति इस क्षेत्र में पायी गयी है।

फिर भी मेक इन इंडिया जैसी भारत सरकार द्वारा की गयी पहलों से कुछ उम्मीदों की झलक दिखाई देने लगी है।

चाहे आयातित वस्तुओं से मिलती प्रतियोगिता हो अथवा उपयुक्त मानव संसाधन की कमी, इस उद्योग को नुकसान पहुँचाती दिख रही है।

ज्योतिषीय विश्लेषण जब इस दिशा में आरम्भ करते हैं तो पाते है कि शनि राहु व् मंगल ख़ास तौर पर इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव दिखलाते हुए नज़र आते हैं।

विगत वर्षों में जहां सूर्य ग्रह का प्रभाव बढ़ता दिखा साथ ही साथ शनि देव के स्थान मण्डल दोष के द्वारा प्रभावित होने से काफी नकारात्मक संकेत आते दिखे।

ख़ास तौर पर 2012 के वर्ष से ही फाउंड्री उद्योग में गिरावट के दौर की आहट सुनाई देती जा रही है।

शनि का अर्क संक्रमण फ़िलहाल जारी है साथ ही साथ राहु की बृहस्पति से द्वीरिक्तता योग स्थिति यथा परिस्थितियों की गाथा का गान अपने आप कर रही है।

भविष्य में शनि देव की यथा गृह स्थान का प्रयाण साथ ही साथ राहु ग्रह का कर्क राशि प्रवेश कुछ हद तक सकारात्मक संयोग का कारण बन सकते है खासतौर पर तकनीकी और धातु सम्बंधित उद्योगों के लिए।

नवीन तकनीक का उपयोग वृद्धि एवं सक्षम कारीगरों के संग साथ से आने वाले समय में कुछ न कुछ सकारात्मक तथ्यों की अपेक्षा की जा सकती है।

(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)