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Biz Astro | बढ़ते वक़्त के साथ संभावनाओं के नए रास्ते खोल सकता है फुटवियर उद्योग

भारतीय अर्थ तंत्र में फुटवियर उद्योग का एक बहुत ही विशेष योगदान है खासतौर पे जबकि इस उद्योग से छोटे और मझोले स्तर के उद्योग काफी बड़ी मात्रा में जुड़े हुए है।

भारत जूतों से सम्बंधित उत्पादन में दूसरे नंबर के पायदान पर स्थापित है। विश्व का करीब 9 प्रतिशत उत्पादन भारत में किया जाता है, जबकि पहले स्थान पर चीन आता है जो की विश्व उत्पाद का आधे से भी ज़्यादा का उत्पादन करता है।

उत्पाद कर्ता के साथ-साथ भारत फुटवियर उद्योग का विश्व में सबसे बड़े उपभोक्ता के तौर पर तीसरे स्थान पर आता है। 50 प्रतिशत से भी ज़्यादा छोटे व् मझोले उद्योग इस मांग को पूरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

वित्तीय वर्षों की भी तुलना अगर की जाए तो ये उद्योग काफी उत्तम गति से आगे बढ़ने वाले में से एक पाया गया है। वित्तीय वर्ष 2010-11 के बाद के 5 वर्षोँ में इस क्षेत्र में दुगुनी गति से भी ज्यादा निर्यात बढ़ा है।

जहाँ उपभोक्ता के तौर पर भारत में ही इस उद्योग से सम्बंधित काफी मांग है तो वहीँ आयातकर्ता के रूप में भी काफी सकारात्मक लक्षण दिखाई देते है।

ज्योतिषीय विश्लेषण के आईने से इस उद्योग के विषय में जानने का प्रयास करते है।

जूते जहाँ ज़रूरत के तौर पर काम आते हैं वहीं बीते दशक की प्रगति के कारण फैशन सिंबल के रूप में भी स्थापित हो रहे हैं।

पारंपरिक ज्योतिष के हिसाब से माने तो शनि व् केतु की स्थिति इस क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा सकती है।

जैसा की बीते दशक में काफी प्रगति इस क्षेत्र ने प्राप्त की, 2010-11 वित्तीय वर्ष के बाद से जहां शनि अपनी उच्चतम राशि तुला के पास ही गोचर में भ्रमण कर रहा है वहीँ केतु भी मित्र राशियों में स्थापित हो आनंदित हो रहा है।

इसी ज्योतिष्य काल खंड में फुटवियर उद्योग में दुगुनी से भी ज्यादा निर्यात जैसी उत्तम स्थिति की संभावनाओं को बनते देखा गया।

वर्तमान की ग्रह युतियों के विवेचन से यह ज्ञात होता है कि फ़िलहाल इस क्षेत्र में स्थायित्व कुछ समय के लिए आ सकता है जिसमे इससे संबंधित उद्योगों को जहाँ नवीनतम तकनीक का उपयोग और साथ ही साथ गुणवत्ता का विकास हो ऐसी संभावनाओं को तलाशना होगा। इससे इस क्षेत्र में उन्हें बल मिले।

बृहस्पति की शनि से केन्द्राधिपति स्थिति उत्तम योगों का निर्माण करती दिखाई देती है। उत्पादन की क्षमताओं को जहाँ बल मिलता है वहीं विकास की उड़ान भी सम्भव हो सकती है।

क्षमता में सुधार , अनियमितताओं की जांच व् गुणवत्ता का विकास ज़रूरी है वर्तमान ग्रहयुति का यही संदेश संमझा जा सकता है जिनसे भविष्य में तरक्की की संभावनाएं बन सकती है।

(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)