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Biz Astro | संभावनाओं के नए रास्ते खोल रहा है प्लास्टिक उद्योग, SMEs उठा सकती हैं फायदा

गत वर्षों में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र रहा हो जिसने उतनी अधिक गति से तरक्की की हो जितनी की प्लास्टिक से सम्बंधित उद्योग् ने की है ।

भारतीय औधोगिक क्रांति के दौर में प्लास्टिक उद्योग बहुत शानदार तरीके से उभर के सामने आया है।

भारतीय विकास दर में प्लास्टिक का बहुत बड़ा योगदान है। बीते 5 वर्षो की इस उद्योग की औसतन विकास दर 10 प्रतिशत के आस पास पाई गई जो आने वाले वर्षों में उम्मीद की जाती है कि 15 प्रतिशत तक जा सकती है।

फ़िलहाल एक अनुमान के हिसाब से 30,000 के करीब प्लास्टिक के प्रोसेसिंग कारखाने चल रहे है, गौर करने वाली बात ये है कि इनमें भी 70 से 80 प्रतिशत तो छोटे व् मझोले उद्योगों के तौर पर दर्ज हैं।

मौजूदा स्थिति में ज्यादातर प्लास्टिक की पूर्ति गुजरात जैसे राज्यों के द्वारा ही की जा रही है।

औसतन खपत पर अगर दृष्टि करें तो चीन में 38 किलोग्राम औसतन खपत की संभावना रहती है जबकि भारत सिर्फ 11 किलोग्राम के साथ काफी पीछे है। सकारात्मक स्वरुप से देखें अपार संभावनाएं इस उद्योग में भरी पड़ी है।

ज्योतिषीय दृष्टि को धारण कर इस विषय को समझने का प्रयास करे तो शनि चंद्र व् शुक्र विशेष तौर से इस उद्योग् को अपनी रश्मियों द्वारा प्रभावित करता दिख रहा है ।

विगत दो दशकों के दौरान जब ग्रह मंडल में शुक्र व् शनि विशेष तौर पर विपरीत चक्र दृष्टि का निर्माण कर रहे थे उस समय के बाद से ही क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों का उपयोग या कह सकते है एक प्रकार की क्रान्ति घटित हुई जिसके कारण प्लास्टिक उद्योग् एक नए प्रारूप में सामने आया।

इसी दौरान शनि द्वारा बारंबार चल मंडल की स्थिति को प्रभावित की जा रही दिखी जिसके बाद से चौपहिया साधनों में इसका चलन किफायती होने के कारण बढ़ता दिखा।

वर्तमान में भी जहां सूर्य ऊर्जा का प्रभाव काफी बढ़ता दिख रहा है। साथ ही साथ कर्क के अक्ष को प्रभावित होने से निर्यात की संभावनाओं को भी बल मिल जाता है।

ज्योतिषीय संकेत काफी सकारात्मक माना जा सकता है ख़ास तौर पर नवीनतम शोध व् ऊर्जा के सही प्रयोग से नवीन ऊंचाइयों को पाया जा सकता है।

(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)