टाइल्स के निर्माण में रेत, चिकनी मिट्टी और दूसरे प्राकृतिक वस्तुओं जैसे फैल्सपार, सिलिका और कवार्टज़ इत्यादि का उपयोग होता है।
सब पदार्थो को मोल्ड कर तैयार खाके के सांचे में डाल किलन की उच्च्तम तापमान में पकाया जाता है जिसके बाद उसका आकार सामने आता है।
टाइल्स मार्बल एवं ग्रेनाइट जैसे महंगे फर्श के विकल्प रूप में सामने आया और काफी अधिक मात्रा में इनका उपयोग बढ़ता पाया गया। भारतीय सेरामिक उद्योग की गणना विश्व के बड़े उत्पादन कर्ता में की जाती है।
भारतीय सेरामिक उद्योग में उत्पादन के बड़े हिस्से की पूर्ति गुजरात राज्य द्वारा होती है।
बीते दो दशकों में इस उद्योग में काफी प्रगति देखी गयी है। जबकि अन्य क्षेत्रों में कभी-कभी कुछ अवरोध आते दिखे। इसके बावजूद सेरामिक उद्योग में वर्तमान में भी 10 प्रतिशत से ज्यादा की तेज़ी के साथ प्रगति की उम्मीद की जा रही है।
काफी छोटे व् मझोले क्षेत्र (SMEs) के लोग इस उद्योग से सीधे अथवा दूसरे तरीकों से जुड़े हुए है।
ज्योतिषीय विश्लेषण की दृष्टि से जब देखते है तो चंद्र शुक व् मंगल सीधे तौर पर इस क्षेत्र से सम्बन्ध रखते है।
शुक्र के विशेष प्रभाव का असर इस क्षेत्र पर बीते दशक की दौरान आता दिखा जब परंपरागतरूप से विख्यात शैली में परिवर्तन महसूस किये गए।
चन्द्र प्रभाव से संबंधित वस्तुओं का आयात बढ़ता दिखा वहीँ नवीन तकनीकों के शोध को भी बल मिला।
मंगल महत्वपूर्ण निर्णयों पर जहाँ अपना असर दिखा देता है। शुक्र व् चंद्र काफी महत्वपूर्ण स्थान भारत की अर्थव्यवस्था में रखते है जो परम्परागत व्यवसाय के साथ-साथ नवीन संभावनाओं को भी बल प्रदान करते हैं।
ज्योतिषीय गणनाओं को अगर ध्यान में रखे तो आने वाले भविष्य में भी इस क्षेत्र का योगदान उत्तम रहने की उम्मीद की जा सकती है।
स्वच्छ भारत का अभियान इस क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
देश के जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हम काफी हद तक देश की छवि सुधारने वाले व् देश समस्त जनों को सम्मान प्रदान करने वाले इन निर्णयों का स्वागत करते हैं।
(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)