दूसरी ओर मांग में तेजी व कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी की वजह से आयात में भी बढ़ोतरी हुई। अप्रैल में आयात 49.07 प्रतिशत बढ़कर 37.88 अरब डॉलर हो गया। मार्च में आयात में 45.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से आज जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले महीने में निर्यात 24.63 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल के समान महीने में 20.56 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।
पिछले वित्त वर्ष के आखिर में कच्चे तेल की कीमतें ज्यादा होने व इंजीनियरिंग निर्यात बहाल होने की वजह से 2016-17 में निर्यात बढ़कर 274 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल हुए 269 अरब डॉलर की तुलना में 4 प्रतिशत ज्यादा है।
एकसमान क्षेत्रों ने सुस्त कारोबार के दौर में वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है। अप्रैल महीने में पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में सबसे तेज बढ़ोतरी देखी गई थी, जो विदेशी मुद्रा कमाने का बड़ा स्रोत है। इसका निर्यात 48.77 प्रतिशत बढ़कर 2.94 अरब डॉलर हो गया।
इसके पहले के महीने में इसमें 69 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई थी। वहींं दूसरी ओर इंजीनियरिंग निर्यात अप्रैल में 28.21 प्रतिशत बढ़ा है जो मार्च में हुई 47 प्रतिशत हुई बढ़ोतरी की तुलना में कम है। इस क्षेत्र में कारोबार 6.11 अरब डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 4.76 अरब डॉलर था।
भारतीय अभियांत्रिकी संवद्र्धन परिषद के चेयरमैन टीएस भसीन ने कहा, ‘बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की ताजा नीतिगत कदमों में उदार मौद्रिक नीति जारी रहने से वैश्विक बाजारों में मदद मिल रही है। इसे ज्यादातर जिंसों की कीमतों में तेजी से सुधार से भी समर्थन मिल रहा है।’
रत्न एवं आभूषण का निर्यात भी 15 प्रतिशत बढ़कर 3.97 अरब डॉलर पहुंच गया है। सरकार मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्यात पर पिछले कुछ महीनों से खास जोर दे रही है, इसके बावजूद कच्चे माल का निर्यात महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।
इस तरह के उत्पादों की विदेशी मुद्रा में मामूली हिस्सेदारी होती है जबकि विनिर्माण की वृद्धि में ज्यादा मुनाफे की क्षमता है। बहरहाल लौह अयस्क का निर्यात 212 प्रतिशत बढ़ा है, जो फरवरी में हुई 1000 प्रतिशत बढ़ोतरी की तुलना में कम है।
सोने के आयात में भी अचानक तेजी देखी गई है और अप्रैल में यह 211 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 3.85 अरब डॉलर पर पहुंच गया। मोतियों, महंगे पत्थरों का आयात 51 प्रतिशत बढ़कर 3.68 अरब डॉलर हो गया, जबकि मशीनरी सामानों का आयात 37 प्रतिशत बढ़कर 2.65 अरब डॉलर हो गया।
सबकी नजरें अप्रैल के आंकड़ों पर थीं, क्योंकि हाल के सप्ताहों में रुपये में तेजी आई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बॉन्ड और स्टॉक मार्केट में तेजी से निवेश किया है और वृद्धि की संभावनाओं मेंं सुधार हुआ है। सोमवार को प्रति डॉलर 64.07 रुपये पर बंद हुआ।
रुपये में आगे और तेजी आने की उम्मीद है, जिसे देखते हुए निर्यातकों के संगठन फियो ने कुछ चुनिंदा क्षेत्रों को शुल्क संबंधी समर्थन की मांग की है, जिससे भारतीय सामान प्रतिस्पर्धी बना रह सके।
फियो के महानिदेशक अजय साहनी ने कहा, ‘सबसे बुरा दौर आना अभी बाकी है। मुद्रा तेजी से मजबूत हो रही है, जबकि बड़े प्रतिस्पर्धियों की मुद्रा कमजोर हो रही है, ऐसे में भारत की प्रतिस्पर्धा घटेगी।’
Source: Business Standard