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GST: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के अधिनियमों ने उड़ाई SME की नींद

जानकारों का कहना है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में सरकार और टैक्स देने वाले समुदाय ने जीएसटी से एमएसएमई (SMEs) पर पड़ने वाले असर को नजरअंदाज कर दिया है। यही वजह है कि कई एमएसएमई अब खुलकर आगे आ रहे हैं और अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रख रहे हैं।

घटेगी उत्पाद शुल्क की छूट

मौजूदा उत्पाद शुल्क कानून के तहत एमएसएमई सेक्टर को 1.5 करोड़ रुपये की उत्पाद शुल्क पर छूट मिलती है, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यह उत्पाद शुल्क की छूट घटकर 20 लाख रुपये हो जाएगी। छोटे कारोबारियों को जीएसटी लागू होने के बाद कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। देखा जाए तो पांच बड़ी चुनौतियां एसएमई सेक्टर के सामने आ सकती हैं। इनमें मैन्यूफेक्चरिंग, सेल, सर्विस, वैल्यूएशन और इनपुट कॉस्ट बढ़ने की चुनौती सबसे बड़ी होगी।

जबरन इनपुट-टैक्स क्रेडिट

सॉफ्टवेयर कंपनी टेली सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक भारत गोयंका ने कहा है कि एसएमई में जबरन इनपुट-टैक्स क्रेडिट को लागू करने से एसएमई अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। जीएसटी अधिनियम के तहत, एक उद्यम आउटपुट पर टैक्स देने के समय निवेश से पहले ही चुकाए गए टैक्स को कम किया जा सकता है, इसे आमतौर पर ‘इनपुट क्रेडिट’ के रूप में जाना जाता है।

लेन-देन का रखना होगा रेकॉर्ड

प्रत्येक बी2बी कंपनियों के लेनदेन का महीने का हिसाब रखा जाता है। करदाताओं को प्रत्येक गतिविधियों को लिए आपूर्ति के बिल, चालान, क्रेडिट नोट, डेबिट नोट, रसीद वाउचर, भु्गतान वाउचर और ई- बिल के विवरण अलग से रखना होगा।

इन रेकॉर्ड से कर अधिकारियों को यह पता करने में मदद मिलती है कि कारोबार में लेन- देन किस प्रकार से चल रहा है और कारोबार का मूल्य क्या है। जीएसटी आने के बाद लगभग 6.5 मिलियन से अधिक कारोबारियों हिसाब रखना होगा। साथ ही हर महीने 1.2 अरब और 2 अरब के बीच रसीदों को अपलोड करना होगा।

Source: Economic Times