SMEpost

GST: राज्यों के एक तिहाई बड़े टैक्स जीएसटी से रहेंगे बाहर

देश का ‘सबसे बड़ा आर्थिक सुधार’ जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। केंद्र और राज्य सरकारें भले ही जीएसटी खुले दिल से स्वागत कर रही हों लेकिन उन्होंने करीब एक तिहाई रेवन्यू को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है जिससे कन्ज्यूमर्स को सस्ते गुड्स और सर्विसेज का फायदा नहीं मिल पाएगा।

मोतीलाल ओसवाल द्वारा टैक्स कलेक्शन पर 17 राज्यों में 2017-18 में की गई एक स्टडी के अनुसार, शराब, रियल एस्टेट और पेट्रोलियम उत्पादों से इन 17 राज्यों में 37 प्रतिशत टैक्स कलेक्शन होता है। ध्यान रहे कि इन से जुड़ी गुड्स ऐंड सर्विसेज को अभी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। भले ही ऑइल सेक्टर में सालाना रिव्यू का प्रावधान रखा गया है लेकिन शराब और रियल एस्टेट में ऐसा नहीं है।

राज्य के वित्त मंत्री इन तीन सेक्टर्स में अपना नियंत्रण बरकरार रखने में कामयाब रह पाए हैं। इन तीन सेक्टर्स को सबसे अधिक टैक्स कलेक्शन वाला माना जाता है जिससे राज्य अपना रेवन्यू टारगेट पूरा करने में कामयाब हो पाएंगे।

अल्कोहल और रियल एस्टेट सेक्टर्स में ही यह माना जाता है कि सबसे ज्यादा ब्लैक मनी पैदा होता है। जीएसटी लाने का मकसद बार-बार लगने वाले टैक्स (कैसकैडिंग इफेक्ट) को खत्म करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी बनाना और टैक्स कलेक्शन में होने वाले लीकेज को खत्म करना था।

साफ है कि एक तिहाई राज्यों की इकॉनमी को जीएसटी का फायदा नहीं हो पाएगा। मोतीलाल ओसवाल द्वारा की गई अनैलेसिस अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता द्वारा लीड की गई है। यह अनैलेसिस में 17 बड़े राज्यों में की गई जिसका राष्ट्रीय जीडीपी में हिस्सा 85 प्रतिशत है। इन राज्यों में से कर्नाटक सबसे ज्यादा अल्कोहल से होने वाले रेवन्यू पर निर्भर है।

Source: Economic Times