पीएम मोदी के योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के अभियान की सफलता के बाद अब वह खादी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाना चाहते हैं। मामले की सीधे तौर पर जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया, ‘सरकार खादी को भारत के अंतरराष्ट्रीय उत्पाद की पहचान दिलाने की तैयारी कर रही है, लेकिन कोई बड़ा फैसला लेने से पहले वह अपनी चीजों को सही कर रही है। खादी की वैश्विक पहचान से कई ग्रामीण कामगार अच्छी कमाई कर सकते हैं।
एक सरकारी सूत्र के मुताबिक खादी की कोई भी पंजीकृत संस्था, कंपनी और संगठन अपने उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए खादी शब्द का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन अपने ब्रैंड के रूप में नहीं। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद सरकार की योजना खादी को दुनियाभर में ‘क्लॉथ ऑफ इंडिया’ के नाम से ब्रैंड करने की है।
उन्होंने कहा, ‘इससे भारत की शक्ति बढ़ेगी। दुनियाभर में कराए गए एक सर्वे में सामने आया है कि योग के बाद खादी दूसरी ऐसी चीज है जिसको लेकर गैर-भारतीयों में भारत को लेकर सबसे ज्यादा क्रेज दिखाई दिया।
केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा, ‘जो भी लोग खादी मार्क का सर्टिफिकेशन चाहते हैं हम कुछ नियम और शर्तों के आधार के साथ देने के लिए तैयार हैं।’ सक्सेना ने इस बात की भी पुष्टि की कि छह कंपनियों को खादी के नाम पर नकली उत्पाद बेचने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में खादी को एक प्रॉडक्ट के रूप में बढ़ावा देने के लिए मदद मांगी है। वाईजे त्रिवेदी ऐंड कंपनी में वरिष्ठ वकील जतिन त्रिवेदी ने कहा कि अगर कोई कंपनी यह साबित करने में कामयाब हो जाती है कि वे खरी खादी बना हैं और केवीआईसी के साथ पंजीकृत भी हैं बावजूद इसके उन्हें खादी शब्द का इस्तेमाल ब्रैंड के रूप में करने का अधिकार नहीं है।
खरी खादी के लिए तीन मापदंड तय किए गए हैं। पहला तो यह कि कपड़ा भारत में हाथ से बुना गया हो। दूसरा, कपड़ा कॉटन, सिल्क, ऊनी धागे में से किसी एक से बना हो, दो से बना हो या फिर तीनों से बना हो। तीसरा, इसे हाथ से काता गया हो। (By: विशाल दत्ता& सचिन दवे)
Source: Economic Times