कुछ उद्योग संघों ने इस पर सुझाव दिया था कि कारोबार पर पड़े नोटबंदी के प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए, एनपीए के लिए समय सीमा को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर देना चाहिए।
कमेटी ने उद्यमियों की सिफरिशों पर ध्यान देते हुए वित्त मंत्रालय और आरबीआई से इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाने की सिफारिश की है। और इस दिशा में मिले परिणाम को कमेटी को बताने के लिए भी कहा है।
समिति ने यह भी कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई का योगदान लगभग स्थिर है, लेकिन सेवा क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है। इस क्षेत्र के आकार को ध्यान में रखते हुए, 6,482 करोड़ रुपये का बजट आवंटन कम है जिसे कुशलतापूर्वक और विवेकानुसार उपयोग करने की जरूरत है।
पैनल ने यह भी कहा कि एमएसएमई मंत्रालय ने जीडीपी में एमएसएमई सेक्टर के योगदान और मेक इन इंडिया पहल के बाद रोजगार के अवसरों में हुयी वृद्धि का मूल्यांकन नहीं किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) को उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिलने के बाद भी इसका आकार कम हो गया है।
समिति ने इस वर्ष के लिए एमएसएमई सेक्टर के सुधार को ध्यान में रखते हुए आवंटित की गयी राशि को बढ़ाने की सिफारिश की।
खादी उत्पादों के प्रचार पर, समिति ने सुझाव दिया कि भारतीय उच्चायोग और दूतावास को अपने कार्यालय में खादी की वस्तुऐं ,उपहार और प्रस्तुतियों का उपयोग करना चाहिए।
इसके अलावा कमेटी ने कहा कि खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) को खादी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों से संपर्क करना चाहिए। और खादी संस्थानों को थोक बिक्री में पारदर्शिता लानी चाहिए।