मोदी ने भारत-जर्मनी व्यापार सम्मेलन के संबोधित करते हुए कहा कि जर्मनी बड़े पैमाने पर मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने में अपना योगदान दे रहा है। स्ट्रेटजिक मार्केट एंट्री प्रोग्राम-एमाआईआई मिटेलस्टेंड को 2015 में सितंबर में शुरु किया गया था।
83 से अधिक जर्मन कम्पनियों ने इस कार्यक्रम में शामिल होने में अपनी रुचि दिखायी है। जिनमें से 73 को आधिकारिक तौर पर नामांकित हैं। और लगभग 47 कंपनियों का निवेश राज्यों में होने जा रहा है।
मोदी ने कहा कि इंडो-जर्मन मैनेजर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम ने दोनों देशों की कंपनियों द्वारा संयुक्त उद्यमों के निवेश और निर्माण में वृद्धि की है। इस कार्यक्रम से 500 से अधिक भारतीय प्रबंधकों को फायदा हुआ है।
विश्व में भारत के “सबसे महत्वपूर्ण भागीदारों” के रूप में जर्मनी को बताते हुए मोदी ने कहा कि जर्मनी भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का 7 वां सबसे बड़ा स्रोत है।
मोदी ने कहा कि भारत ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापार करने के अपने नियमों को आसान किया है।
उन्होंने बताया कि पिछले हफ्ते हमने भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को खत्म करने का फैसला किया। 2016-17 में भारत में एफडीआई प्रवाह 60 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।