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Technology: MSMEs टेक्नोलॉजी अपनाने के मामले में बहुत पीछे, सिर्फ 27% इकाइयों की है वेबसाइट

लुधियाना: भारत की एसएमएमई इकाइयाँ टेक्नोलॉजी अपनाने के मामले किस कदर पीछे हैं, ये हाल ही में इंडस्ट्रियल अंडरटेकिंग्स (सीआईसीयू) द्वारा एसएमएमई इकाइयों पर किये गए एक सर्वे से पता चलता है।

नवीन तकनीक और विपणन अपनाने को लेकर लुधियाना की एसएमएमई इकाइयों पर किये गए सर्वे में इकाइयाँ बहुत पीछे हैं। चैंबर ऑफ़ कॉमर्शियल एंड इंडस्ट्रियल अंडरटेकिंग्स (सीआईसीयू) द्वारा जिले में मौजूद एमएसएमई पर किये गए सर्वे में पाया गया है कि केवल 27 फीसदी इकाइयों की वेबसाइट है और केवल 9 प्रतिशत इकाइयां रिसर्च एंड डेवलपमेंट और प्रोडेक्ट के विकास के लिए एडवांस सॅाफ्टवेयर का उपयोग करती हैं।

सीआईसीयू के महासचिव उपकार सिंह आहूजा का कहना है तेजी से बदलते वैश्विक वातावरण को देखते हुए उद्योगों का सूचना प्रौद्योगिकी अपनाना बहुत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि नवीन टेक्नोलॅाजी, उद्यमों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाती है। यह सर्वे एमएसएमई क्षेत्र की लगभग 200 इकाईयों पर किया गया है। जिसमें  विभिन्न क्षेत्र कार्यरत जैसे विनिर्माण, बाइसिकल पार्टस, ऑटोमोटिव कंपोनेट्स आदि कंपनियों को शामिल किया गया जिनका टर्न ओवर 10 लाख से 5 करोड़ रुपयो तक है।

स्टडी में यह भी पता लगा कि 73 प्रतिशत यूनिट्स पहले की ही प्रिंटेड डायरेक्टरीस (निर्देशिकाओं) का ही उपयोग कर रही हैं।

लगभग 20 प्रतिशत इकाइयों के पास अभी भी कम्प्यूटर नहीं है और कम्प्यूटरों के इस्तेमाल के बजाए पुस्तकों में रिकॉर्ड बनाकर रख रही हैं। वहीं 46 फीसदी एमएसएमई पुराने मार्केटिंग तरीकों का उपयोग कर रही हैं।

आहुजा ने कहा कि यह विडंबना है कि जहां भारत को दुनिया में आईटी हब के रुप में जाना जाता है वहीं एमएसएमई सेक्टर नयी टेक्नोलॅाजी को अपनाने में बहुत पीछे है।

चीन की कंपनियों के बड़े पैमाने पर आगे बढ़ने का ये भी एक कारण है कि वहां की कंपनियों ने टेक्नोलॉजी का फायदा उठाया और मार्केटिंग टूल्स का प्रयोग बेहतर तरीके से किया, इसीलिए पूरी दुनिया में उनकी मांग बढ़ी और वे भारत से आगे निकल गई।