उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एमएसएमई सेक्टर पर विशेष महत्व दे रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर 2016 में लुधिनाया में एक कार्यक्रम में एमएसएमई अवार्ड्स में शामिल हुए और लघु उद्यमियों तथा केवीआईसी/कयर बोर्ड के उद्यमियों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये। इस प्रोग्राम में वर्ष 2013 के लिए कुल 225 पुरस्कार दिए गए।
मिश्र ने वर्ष 2014 से 2017 के अंतराल में एमएसएमई मंत्रालय द्वारा किये गए कार्यों और उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि मंत्रालय द्वारा दिसम्बर 2015 में शुरू की गई ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया उद्योग आधार मेमोरेंडम के तहत 31,07,712 से अधिक उद्योग पंजीकृत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पीएमईजीपी के अंतर्गत 1,45,420 इकाईयों की स्थापना की गयी है। जिससे पिछले 3 साल में लगभग 11 लाख लोगों को रोजगार मिला है।
खादी ग्रामोद्योग आयोग के विकास के लिए विपणन विकास सहायता स्कीम (एमएमडीए) के तहत साल 2016-17 में 315 करोड़ रुपये दिए गए हैं। सरकार द्वारा किये गए प्रयासों के साथ खादी के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुयी है। यह 2016-17 में 1600 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
एमएमडीए योजना के प्राप्त आंकडों के अनुसार 1931 खादी संस्थाओं ने आधार लिंकेज के साथ बेब पोर्टल पर 3,09,154 कारीगरों को पंजीकृत किया है।
उन्होंने कहा कि ग्रामोद्योग का उत्पादन 2016-17 में 133 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करने के साथ 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
मिश्र ने बताया कि कॅायर उत्पादन प्रति वर्ष 5.00 लाख टन से अधिक है। और इसके तहत 7 लाख युवाओं को रोजगार मिला है। कॅायर उत्पादकों का निर्यात वृद्दि के साथ साल 2016-17 के अतंराल में 2282 करोड़ रुपये से अधिक हुआ है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (एनएसआईसी) द्वारा वर्ष 2014-15 से 2016-17 के दौरान 30 लाख माट्रिक टन से अधिक कच्चे माल की आपूर्ती के साथ एमएसएमई की सहायता की गयी है।
एमएसएमई के पुनर्वास और पुनरुद्धार के लिए ढांचा 29 मई 2015 को अधिसूचित किया गया है। आरबीआई ने इस ढांचों में संशोधन किए हैं। इस ढांचे का उद्देश्य एमएसएमई के खराब खातों को हल करना है। इन खातों की संख्या जुलाई 2016 से दिसंबर 2016 तक 41,417 है।
मंत्री ने बताया कि क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम के तहत 2014–17 को दौरान पहचान किए गए 51 क्षेत्रों में प्रोधोगिकी के विकास के लिए 16,304 एमएसएमई को 1027.82 करोड़ रुपये सब्सिड़ी जारी की गयी है।
उन्होंने कहा कि क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड के अंतर्गत तीन साल के कार्यकाल में 61,155.73 करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी के साथ 13,69,527 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गयी है।
समग्र निधि कोष 2500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7500 करोड़ रुपये किया गया है। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 715.68 करोड़ रुपये की निधि जारी की गयी तथा साल 2017-18 के लिए बजट को 3002 करोड़ रुपये रखा गया है।
2014-15 के दौरान 18 टूल रुम्स के माध्यम से 4,94,885 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है। औऱ 1,03,459 एमएसई को प्रोद्योगिकी सहायता दी गयी है।
मंत्रालय विश्व बैंक की सहायता से 2200 करोड़ रुपये की लागत से 15 नए प्रोधोगिकी केंद्रों की स्थापना कर रहा है।
उन्होंने कहा कि परंपरागत उद्योगों के पुनर्स्राजन के लिए निधि स्कीम स्फूर्ति के तहत 71 क्लस्टर विकसित किये गए हैं। जिनसे लगभग 44,500 कारीगरों को फ़ायदा हुआ है।
मंत्रालय की एक अन्य प्रमुख स्कीम एसपायर (नवप्रवर्तन, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता के लिए स्कीम) के तहत 8 राज्यों में 57 लाइवलीहुड बिज़नस इनक्यूबेटर (LBI’s) और टेक्नोलॉजी बिज़नस इनक्यूबेटर (TBI’s) बनाये गए हैं।
मंत्री ने कहा कि एमएसएमई मंत्रालय ने व्यवसाय के सुगम बनाने के लिए उद्योग आधार ज्ञापन के सरलीकरण के साथ-साथ मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट, एमएसएमई डाटाबैंक पोर्टल, माई एमएसएमई मोबाइल एप्लाकेशन, एमएसएमई के मामलों के निपटारे के लिए आनलाईन पोर्टल शुरु किया गया है।