Q: साल 2009 में आधार प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद अभी तक कैसे उसका रोल बदला है?
A: आधार की जब परिकल्पना की गई थी, उसमें उसके सभी पहलुओं को ध्यान में रखा गया था। जिसका परिणाम है कि आज आधार किसी की पहचान से लेकर डिजिटल पेमेंट तक के लिए काम आ रहा है। इसके अलावा वह किसी की पहचान को साबित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी प्रदान करता है। अब तक देश के 110 करोड़ लोगों के आधार बनाए जा चुके हैं। अगर व्यस्क लोगों को केवल शामिल किया जाय तो देश के 99 फीसदी व्यस्क का आधार बन चुका है।
Q: आधार का रोल ईज ऑफ डूइंग (Ease of doing) बिजनेस में कैसे अहम है?
A: ऐसे बिजनेस जहां पर लोगों से सीधे कांटैक्ट हो रहा है, वहां आधार का बेहद अहम रोल है। कंपनियां मोबाइल कनेक्शन देने में इसका यूज कर रही हैं। आधार के जरिए कंपनियों के लिए इसके आइडेंटिटी, अथंटिकेशन करना बहुत आसान है। ऐसे में आधार धीरे-धीरे फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन का केंद्र बिंदु बन रहा है।, इस समय हर रोज 1.25 करोड़ ट्रांजैक्शन आधार के जरिए किए जा रहे हैं।
Q: डिजिटल ट्रांजैक्शन की परिकल्पना क्या बिना आधार के जरिए की जा सकती है?
A: देखिए, यह हमारा सौभाग्य है कि देश में इस समय 110 करोड़ लोगों के पास आधार है। इसके अलावा 100 करोड़ से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन और 40 करोड़ से ज्यादा बैंक अकाउंट आधार से लिंक हैं। इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया के किसी भी देश में नहीं है। आधार, मोबाइल और बैंक अकाउंट मिलकर जैम को पूरा करते हैं। जैम पहचान से लेकर लक्षित तक पहुंचने और उसको वित्तीय सेवाएं देने तक का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरा करता है। आज जैम के जरिए ऐसा संभव हो रहा है कि डिजिटल सुविधाएं कुछ खास लोगों तक सीमित नहीं हैं, वह अब आम आदमी के पहुंच में हैं।
Q: डिजिटल ट्रांजैक्शन को सिक्युरिटी को लेकर काफी सवाल उठते हैं, ऐसे में आधार का क्या रोल रहेगा?
A: देखिए आधार से आधारित डिजिटल ट्रांजैक्शन किसी भी दूसरे ट्रांजैक्शन से कहीं ज्यादा सेफ है। कैश की तुलना में कहीं ज्यादा सेफ है। आधार आधारित पेमेंट में अथंटिकेशन से लेकर वैरिफिकेशन तक को जरूरत पड़ने पर ट्रैक किया जा सकता है। ऐसे में किसी तरह का साइबर फ्रॉड होने पर जांच एजेंसियां लोकेशन से लेकर फ्रॉड करने वाली की डिटेल्स भी ले सकती है। जबकि अगर आप कैश ट्रांजैक्शन की बात करें, तो उसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता है। वहीं डिजिटल ट्रांजैक्शन हमेशा रिकॉर्डेड होता है। इसी तरह डिजिटल ट्रांजैक्शन में कंज्यूमर को तो किसी भी तरह से परेशान होने की जरूरत नहीं है, अगर फ्रॉड होने में उसकी कोई गलती नहीं है, तो उसका पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है।
Q: आधार देश के नागरिक को उसकी पहचान देता है, ऐसे में वह कैसे दूसरे पहचान पत्रों से अलग है?
A: देखिए आधार को हमेशा एक अलग पहचान पत्र के रुप में देखना होगा। इससे ऐसे काम हो रहे हैं, जो दूसरे पहचान पत्र नहीं कर सकते हैं। आज आधार ऑफिस में अटेंडेंस लगाने के काम आ रहा है, जीवन प्रमाण पत्र देने के काम काम आ रहा है, पेमेंट के लिए आधार काम आ रहा है। इसके जरिए जितने तरह के काम किए जा रहे हैं वह दूसरों से संभव नहीं हैं। जहां आपके पहचान की जरूरत होगी वहां आधार काफी है।
Q: अब आधार आधारित भीप ऐप लांच कर दिया गया है, यह कैसे आम आदमी को कैशलेस ट्रांजैक्शन के लिए प्रेरित करेगा?
A: भीम ऐप के जरिए ऐसा होना काफी आसान होगा। जो कि आधार आधारित पेमेंट सिस्टम है। पेमेंट करने के लिए यूजर को केवल अपना आधार नंबर बताकर अंगूठा लगाना होगा। इसके लिए स्मार्टफोन और डेबिट-क्रेडिट कार्ड की जरूरत नहीं होगी। इस खासियत की वजह से आम आदमी तक डिजिटल ट्रांजैक्शन को पहुंचाना और उसका यूज बढ़ाना काफी आसान होगा। साथ ही इसमें और अपग्रडेशन किया जा रहा है। जिससे इंटरनेट यूज नहीं करने वाले यूजर्स के लिए पेमेंट लेना आसान हो सकेगा।
Q: आप कब तक ऐसा मान रहे हैं कि भीम ऐप दूसरी वॉलेट कंपनियों को पीछे छोड़ देगा?
A: देखिए हम किसी रेस में शामिल नहीं है। हम बस यह चाहते हैं कि देश के हर आदमी के पास डिजिटल ट्रांजैक्शन का इंफ्रास्ट्रक्चर हो। भीम ऐप इसी दिशा में उठाया गया कदम है। यानी देश के हर नागरिक के पास डिजिटल ट्रांजैक्शन करने का कोई न कोई माध्यम जरूर होना चाहिए। ऐसे में सभी माध्यम इस लक्ष्य को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
(हरवीर सिंह और प्रशांत श्रीवास्तव)
Source: Money Bhaskar
Image Courtesy: Metro Vaartha