ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए राज्यों को करना होगा ग्राउंड लेवल पर काम, नहीं तो बिगड़ेगी रैंकिंग


नई दिल्ली।  राज्यों को मिलने वाली ईज ऑफ डूईंग बिजनेस रैंकिंग पहले से ज्यादा पारदर्शी होगी। रैंकिंग तय करने में कारोबारियों का फीडबैक अहम भूमिका अदा करेगा। ऐसे में केवल राज्यों के फीडबैक और केंद्र सरकार के लेवल पर स्क्रूटनी रैंकिंग का पैमाना नहीं होगा। क्यूं बदला नियम     अभी तक रैंकिंग तय करने में […]


Ease-of-doing-Businessनई दिल्ली।  राज्यों को मिलने वाली ईज ऑफ डूईंग बिजनेस रैंकिंग पहले से ज्यादा पारदर्शी होगी। रैंकिंग तय करने में कारोबारियों का फीडबैक अहम भूमिका अदा करेगा। ऐसे में केवल राज्यों के फीडबैक और केंद्र सरकार के लेवल पर स्क्रूटनी रैंकिंग का पैमाना नहीं होगा।

क्यूं बदला नियम    

अभी तक रैंकिंग तय करने में ज्यादातर प्रभाव राज्यों के दावों का होता था, जिनके आधार पर रैंकिंग तय की जाती थी। कई बार इंडस्ट्री की तरफ से इस बात की शिकायत आ रही थी कि राज्यों के दावों और उसके आधार पर उनको मिली रैंकिंग और जमीनी हकीकत में बहुत अंतर होता है।

क्या हैं नए नियम  

डीआईपीपी ने बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीआरएपी) 2017 को जारी किया है। इसमें 405 रिफॉर्म्स को जगह दी गई है जिसमें कारोबारियों का फीडबैक रैंकिंग तय करने में अहम फैक्टर होगा। ताकि, राज्य सरकारों के दावों को भी क्रॉसचेक किया जा सके। नए रिफॉर्म में सेंट्रल इंस्पेक्शन सिस्टम, ऑनलाइन लैंड अलॉटमेंट सिस्टम, कंस्ट्रक्शन परमिट के लिए ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम, इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमैन एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन, बॉयलर मैन्युफक्चरर और बॉयलर रिएक्टर के लिए अप्रूवल आदि शामिल है।

राज्य सरकारों की नहीं चलेगी मनमानी    

दिल्ली का इंडस्ट्रियल एसोसिएशन एपेक्स चैंबर के चेयरमैन कपिल चोपड़ा ने बताया कि अब राज्य सराकरों को पेपर्स पर काम दिखाने के अलावा ग्राउंड लेवल पर भी काम करना होगा। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे, तो राज्य की रैंकिंग और इन्वेस्टमेंट दोनो प्रभावित होगा। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएसशन के अध्यक्ष नीरज सिंघल ने कहा कि अब राज्यों की मनमानी नहीं चलेगी क्योंकि अब सब ऑनलाइन उपलब्ध होने पर वह अपने काम को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिखा पाएंगी।

राज्यों ने माना सिस्टम होगा बेहतर    

दिल्ली सरकार के अधिकारी ने बताया कि इससे राज्यों के बीच हेल्दी कंपिटिशन होगा क्योंकि अब राज्यों के अलावा कारोबारियों के फीडबैक को भी रैंकिंग देते समय ध्यान में रखा जाएगा। राज्यों को अपने रिफॉर्म्स का प्रूफ ऑनलाइन जमा करना होगा, तो इससे सिस्टम ट्रांसपेरेंट बनेगा।

Source: Money Bhaskar

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