उन्होंने कहा कानपुर की 20 से 25 चर्म इकाइयों ने यहां अपना कारखाना खोलने में दिलचस्पी दिखाई है, क्योंकि उन्हें वहां कच्चा माल मिलने में दिक्कत आ रही है। वे यहां जमीन तलाश रही हैं। इसके साथ ही कोलकाता की चमड़ा इकाइयों को भी अधिग्रहीत करना चाहती हैं। अवैध बूचड़खानों के खिलाफ हो रही कार्रवाई के कारण उत्तर प्रदेश की चर्म इकाइयों के सामने कच्चे माल का संकट पैदा हो गया है।
पश्चिम बंगाल के एमएसएमइ विभाग के सचिव राजीव सिन्हा ने बताया, ‘हमें स्थानीय चमड़ा इकाइयों से सूचना मिली है कि उत्तर प्रदेश की लेदर यूनिटें यहां कारोबार करना चाहती हैं। निकट भविष्य में उनके साथ इसे लेकर बैठक की संभावना है। बंगाल सरकार उन्हें हर संभव सुविधाएं प्रदान करेगी।
सरकार यहां के लेदर कॉम्प्लेक्स के आधुनिकीकरण पर अगले दो वर्षों में 200 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इस बाबत ड्राफ्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का काम चल रहा है।’
बंगाल-बिहार से मिला बुलावा
गंगा सफाई में टैनरियों को लेकर बने अनिश्चितता के माहौल के बीच पश्चिम बंगाल व बिहार सरकार ने कानपुर के टैनरी मालिकों को अपने यहां इकाई लगाने को आमंत्रित किया है। बंगाल के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विभाग ने प्रस्ताव भेजा है। कानपुर-उन्नाव के कई उद्यमियों की अगले माह बंगाल के एमएसएमई सचिव से मुलाकात हो सकती है।
बिहार सरकार ने भी टैनरियों को ऐसा ही आमंत्रण भेजा है। राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद अवैध स्लाटर हाउस पर शिकंजा कसा गया और बिना लाइसेंस के चलने पर उन्हें बंद करा दिया गया। इससे फौरी तौर पर सप्लाई प्रभावित हुई।
नेशनल ग्रीन टिब्यूनल में गंगा प्रदूषण पर सुनवाई में टैनरियों की शिफ्टिंग की चर्चा शुरू हो गई। कानपुर के टैनरी मालिक बंगाल और बिहार के प्रस्ताव के साथ ही कारोबार विस्तार पर भी विचार कर रहे हैं।
Source: Jagran.com