कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानपुर आए थे। इस दौरान उन्होंने वर्ष 2019 में अद्र्धकुंभ से पहले शहर की टेनरियों को यहां से हटाने की बात कही थी। इसके बाद यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन ने शहर स्थित टेनरियों का दौरा किया था और टेनरियों को दूसरी जगह ले जाने की संभावना पर विचार-विमर्श किया था। इधर, केंद्र सरकार द्वारा पशु खरीद-फरोख्त पर पाबंदी से भी इस उद्योग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष जावेद इकबाल ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार के वित्त मंत्री के साथ बैठक हुई थी। इस दौरान उन्होंने टेनरी स्थापित करने के लिए हर सुविधा देने की बात कही थी। जावेद के मुताबिक शहर के चमड़ा कारोबारी रमईपुर में टेनरियां लगाना नहीं चाहते हैं क्योंकि जो समस्या जाजमउ में होगी वही समस्याएं रमईपुर में भी खड़ी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि रमईपुर शहर से महज 20 किलोमीटर है। ऐसे में कारोबार चलाने के लिए अन्य विकल्पों पर सोचना पड़ रहा है।
पश्चिम बंगाल में कर रहे कारोबार
चर्म निर्यात परिषद के पूर्व निदेशक ओपी पांडेय के अनुसार शहर के तमाम कारोबारी पहले से ही चेन्नई और पश्चिम बंगाल के शहरों में कारोबार कर रहे हैं। कई कारोबारियों के बड़े कार्यालय भी इन जगहों पर हैं। अब तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच वहां टेनरी संचालन को विस्तार मिलने की संभावना बढ़ गई है।
राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश
केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच संबंध बेहद तल्ख रहे हैं। 2019 में देश में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में आने वाले आम चुनाव में टेनरी शिफ्टिंग बड़ा मुद्दा बन सकता है, जिसका लाभ पश्चिम बंगाल की सरकार उठाना चाह रही है।
Source: Business Standard