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एमएसएमई की वृद्धि पर स्टार्टअप कंपनी ऑफबिज़नेस की नज़र

कच्चा माल, वित्त और माल की आवाजाही आदि छोटे और मझोले उद्यमियों (एसएमई) के लिए हमेशा से बड़ी परेशानी रही है।

गुडग़ांव की स्टार्टअप कंपनी ऑफबिज़नेस एसएमई को इन दिक्कतों से निजात दिलाने में जुटी है। इस कंपनी की बुनियाद सितंबर, 2015 में आशीष महापात्र ने रखी, जो मैट्रिक्स पार्टनर के निदेशक रह चुके हैं।

कंपनी की शुरुआत खरीदारों और विक्रेताओं को मिलाने वाले मंच के तौर पर हुई थी। इसका ध्यान फिलहाल देश के करीब 300 एसएमई केंद्रों में से 12 पर है और इसमें 1,000 के करीब आपूर्तिकर्ता हैं।

इसने शुरुआती चरण मेंं मैट्रिक्स पार्टनर्स और अन्य ऐंजल निवेशकों से 50 लाख डॉलर जुटाए थे और उसके बाद जोडियक टेक्नोलॉजी अपॉच्र्यूनिटी फंड और मैट्रिक्स पार्टनर्स से 1.2 करोड़ डॉलर और जुटाए गए हैं। ऑफबिजनेस की कुछ और निवेशकों से बात चल रही है क्योंकि वह एसएमई को कर्ज मुहैया कराने के लिए गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) शुरू करना चाहती है।

महापात्र के दिमाग में एक स्टार्टअप शुरू करने का विचार 2014 के अंत में आया और उन्होंने सितंबर 2015 में ऑफबिज़नेस शुरू कर दी। इसमें उनके साथ 7 अन्य लोग भी थे।

इनमें मुख्य तकनीकी अधिकारी भुवन गुप्ता स्नैपडील में काम कर चुके हैं, एनबीएफसी ऑफक्रेडिट की प्रमुख रुचि कालरा मैकेंजी में पार्टनर रह चुकी हैं, उत्पाद प्रमुख चंद्रांशु देवफैक्टरी में मुख्य वास्तुकार थे, मुख्य परिचालन अधिकारी रंजन कांत जबॉन्ग, स्नैपडील और बीसीजी में काम कर चुके हैं, निर्माण प्रमुख नितिन जैन आरबीएस में थे, वसंत श्रीधर आईटीसी तथा यूनिलीवर में थे तथा मध्य भारत के सेल्स प्रमुख विश्वजित मिश्रा अन्स्र्ट ऐंड यंग, टीवीएस तथा डुएट होटल्स में काम कर चुके हैं।

शुरुआत से ही यह ऑफबिज़नेस बुनियादी ढांचे और इंजीनियरिंग पर ध्यान दे रही है। वहीं निर्माण और फ्रैब्रिकेशन सामग्री सेगमेंट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बड़ी सामग्री और लॉजिस्टिक्स परिचालन के लिए वाहन बेड़ों के मालिकों से करार किए जा रहे हैं। कंपनी का मकसद अच्छी कीमत पर बेहतर उत्पाद समय पर मुहैया कराना है।

इसके साथ ही ई-मार्केटप्लेस, लॉजिटिक्स और क्रेडिट प्लेटफॉर्म सहित व्यापक ऑनलाइन और ऑफलाइन मदद मुहैया कराई जा रही है। महापात्र बताते हैं कि अभी ज्यादातर एसएमई ऑफलाइन यानी सामान्य दुकानों से ही माल खरीदते हैं, जबकि ऑनलाइन खरीद सस्ती पड़ती है। उन्होंने बताया कि कच्चे माल का बाजार 130 अरब डॉलर का है। वह कहते हैं, ‘हमारा फायदा यह है कि हम सस्ती दरों पर  माल मुहैया कराते हैं, सुनिश्चित डिलिवरी देते हैं और और वित्तीय मदद उपलब्ध कराते हैं।’

ऑफबिज़नेस लेनदेन पर 3 से 5 फीसदी मार्जिन लेती है। महापात्र कहते हैं कि कंपनी ने शुरुआत में ही यह फैसला कर लिया था कि वह मार्केटिंग पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करेंगे। कंपनी का खर्च राजस्व का एक फीसदी है।

उन्होंने कहा कि कंपनी बाजार की समस्याएं दूर करने के लिए तकनीक पर पैसा खर्च करती है। कंपनी की 10 शहरों में मौजूदगी है, जिसमें 6 शहरों में अच्छा कारोबार है। कंपनी का एक अहम कदम एनबीएफसी की स्थापना है। ऑफबिज़नेस ने इसके लाइसेंंस के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संपर्क किया है।

लाइसेंस मिलने की सूरत में एसएमई की ऋण की सबसे अहम जरूरत पूरी होगी और यह एनबीएफसी दो महीनों में अपना परिचालन शुरू कर सकती है।

कंपनी का कहना है कि बिज़नेस टू बिज़नेस (बी2बी) वाणिज्य प्लेटफॉर्म की अनोखी पेशकश होगी। ऑफबिज़नेस अभी कोई नया क्षेत्र या बाजार नहीं तलाशेगी और वह वर्तमान बाजारों में ही खुद को मजबूत बनाने पर ध्यान दे रही है। अगले पांच वर्षों में कंपनी अपना दायरा 200 एसएमई केंद्रों तक बढ़ाने की योजना बना रही है।

अगर कंपनी निवेश बंद कर दे तो वह ब्रेक ईवन पर आ सकती है, लेकिन उसे तकनीक और अन्य जरूरतों पर खर्च करना पड़ रहा है। कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने विस्तार के बाद सेवा की गुणवत्ता को बरकरार रखना है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऑफ बिज़नेस को पावर2एसएमई जैसी कंपनियों से चुनौती मिलेगी, लेकिन यह बाजार इतना बड़ा है कि इसमें कई कंपनियां समा सकती हैं।

Source: Business Standard