पूर्व चेयरमैन ने कहा कि खादी को आकर्षण बनाने के लिए नए शोरूम खोलने की आवश्यकता है। टेक्सटाइल उद्योग के मुकाबले में खादी का उत्पादन मात्र एक प्रतिशत है, जिसके कारण खादी का उत्पाद महंगा है। सरकारी विभागों में खादी की डिमांड बढ़ रही है, लेकिन बाजार की आवश्यकता है, जिससे उसकी बिक्री निरंतर जारी रहे। डिमांड को बढ़ाने के लिए गांधी जयंती एवं अन्य विशेष अवसरों पर छूट दी जाती है, जिससे बिक्री अच्छी खासी होती है। देश के 2.50 लाख गांवों व शहरों में यानि 50 प्रतिशत में ग्रामोद्योग का क्षेत्र है।
उन्होंने कहा कि खादी कमाई का साधन है। गरीब व किसान घर बैठे अच्छी आमदनी कर सकता है। हालांकि सरकार द्वारा सब्सिडी खत्म कराने के लिए लिये गए फैसले से बुनकर कतिनर की आमदन पर असर पड़ेगा। सरकार को सब्सिडी घटाने के बजाय खादी को बढ़ाने के लिए दी जानी चाहिए।
खादी के कपड़े महंगे होने के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह हाथ से निर्मित है, इसकी क्वालिटी भी बेहतर है। इसलिए यह थोड़ी महंगी है। इसको निर्मित करने में गरीबों का योगदान है, खादी बिक्री के जरिये अमीरों से पैसा लेकर गरीबों को दिया जाता है, इसलिए यह महंगी है। इस अवसर पर हरियाणा खादी ग्रामोद्योग फैडरेशन के उपाध्यक्ष पवन कुमार गुप्ता, महासचिव मामचंद शर्मा एवं झांसा रोड स्थित केजीएम के सचिव देवेंद्र शर्मा प्रमुख रूप से मौजूद थे।
Source: jagran