इसके लिए सरकार ने कहा है कि वह फंड़ व अन्य तकनीकि माध्यमों के जरिए पूरी दुनिया में इन ब्रांड्स को पहुंचायेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इसकी कोई वजह नहीं है कि भारत लक्जरी चमड़े के ब्रांड्स का उत्पादन नहीं कर सकता है।
डिपार्टमेंट आफ इंडस्ट्रीयल पॅालिसी एंड प्रमोशन (DIPP) इस योजना को अंतिम रुप देने के लिए क्षेत्र की निजी कंपनियों के साथ बात कर रहा है। इससे ब्रांड विदेशों में अपने स्वयं के व्यक्तिगत कार्यालयों की स्थापना करने के साथ वैश्विक प्रदर्शनियों व व्यापार मेलों के माध्यम से विदेशी बाजारों का उपयोग करने में सक्षम होगा।
वुड़लैड़ इंड़िया मेनेजिंग डायरेक्टर हरकीरत सिंह ने कहा है, “भारत को लैदर ब्रांडों का एक्सपोर्टर बनना चाहिए न की सिर्फ लैदर क्षेत्र में मटेरियल एक्सपोर्टर्स। चीन जैसे देश भी अपने सभी ब्रांड़ो का एक्सपोर्ट दुनिया भर में करते हैं।”
डीआईपीपी ग्लोबल लक्ज़री ब्रांडों से भी बात कर रहा है, कि वह अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट भारत में स्थापित करें।
दुनिया में सबसे अधिक पशुओं का स्थान होने के साथ, भारत लैदर क्षेत्र में बड़ी मात्रा में कच्चे माल का उपयोग करता है। “मेक इन इंड़िया” पहल के तहत निर्यात के साथ लैदर को भी फोकस एरिया बनाया गया है जो कि अगले पांच सालों में 25 फीसदी की ग्रोथ दर्ज कर सकता है।