गुरुवार को होने जा रही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक नए अप्रत्यक्ष कर काल के विधेयकोंं को संसद के बजट सत्र में पेश करने के लिए अहम है। अगर राज्य सरकारें भी समय से अपनी विधानसभाओं में समय से पारित कर देती हैं तो नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जुलाई से पेश की जा सकती है। अप्रैल से इसे पेश किए जाने की संभावना अब करीब खत्म हो चुकी है। बैठक में राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) विधेयक व केंद्र शासित क्षेत्र जीएसटी (यूटीजीएसटी) विधेयक पर चर्चा होगी और पहले की बैठक में जिन विधेयकों पर चर्चा हुई है, सभी विधेयकों को मंजूरी दी जानी है।
मसौदा एसजीएसटी और यूटीजीएसटी विधेयक कमोबेश मसौदा केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) विधेयक के ही समान होगा, जिसे इस माह की शुरुआत में परिषद ने मंजूरी दी थी। बहरहाल कुछ राज्यों के वित्त मंत्रियों के मुताबिक परिषद इस बैठक में सीजीएसटी विधेयक के साथ एकीकृत जीएसटी कानून पर एक बार फिर विचार कर सकती है। पहले की बैठक में परिषद ने सीजीएसटी विधेयक के तहत उच्चतम कर सीमा 20 प्रतिशत करने को मंजूरी दी थी, जो पहले 14 प्रतिशत निर्धारित किया गया था। इसी तरह का प्रावधान एसजीएसटी में भी किया गया था जिससे परिषद जीएसटी में अधिकतम 40 प्रतिशत दर का प्रावधान कर सकती है, जो अभी 28 प्रतिशत तक रखा गया था। बहरहाल 5 प्रतिशत, 12, 18 और 28 प्रतिशत का 4 कर ढांचा बना रहेगा।
वस्तु के मुताबिक जीएसटी दरोंं को तय किए जाने का काम बाद में अधिकारियों की समिति को करना है। यह भी फैसला किया गया है कि लग्जरी और गैर प्राथमिकता वाले वस्तुओं जैसे लग्जरी कार, एरेटेड पेय, तंबाकू पर कर राजस्व का नुकसान राज्यों को न होने पाए और किसी तरह के राजस्व नुकसान की भरपाई पहले 5 साल तक केंद्र सरकार करेगी। परिषद ने ई कॉमर्स कंपनियों को राहत देते हुए स्रोत पर कर संग्रह 1 प्रतिशत कर दिया है जबकि पहले 2 प्रतिशत कर का प्रस्ताव किया गया था। बहरहाल ई कॉमर्स कंपनियों के कई पंजीकरण का मसला अभी भी बना हुआ है, जो सिर्फ नियम बनाए जाते समय लिया जा सकता है।
परिषद ने यह भी फैसला किया है कि 50 लाख रुपये का कारोबार करने वाले रेस्टोरेंट पर 5 प्रतिशत समेकित दर होगी, जिसमें 2.5 प्रतिशत सीजीएसटी और इतना ही एसजीएसटी होगा। कारोबारियों के लिए सीजीएसटी और एसजीएसटी के तहत प्रत्येक के लिए समेकित दर 0.5 प्रतिशत होगी। क्लीयरटैक्स डॉट कॉम के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता कहते हैं कि कुछ क्षेत्रों के लिए कम समेकित दरों, टीसीएस दरों की पेशकश की गई है, और कुछ उद्योगोंं ने निवेदन किया है कि जीएसटी से छूट मिलनी चाहिए, इन सब मसलों पर परिषद की बैठक में चर्चा हो सकती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी की सफलता व्यापक कवरेज और व्यापक अनुपालन पर निर्भर है। कर अधिकारी किसी करदाता के वित्तीय संकट की स्थिति में उसे मासिक किस्तों में 2 साल में कर भुगतान की छूट दे सकते हैं।
Source: Business Standard