सरकार ने स्टैंड अप इंडिया-स्टार्टअप इंडिया को जोरशोर के साथ शुरू किया। सरकार ने नई कंपनियों और नए कारोबारियों को बूस्ट देने के लिए स्कीम्स का ऐलान किया। इसमें टैक्स में छूट देने से लेकर फंड दिया जाना शामिल है।
हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि पहले साल में कंपनियों को टैक्स छूट मिलने और फंड मिलने दोनों में मुश्किलों को सामना करना पड़ा है।
एप्लीकेशन में से 8 को मिला टैक्स बेनिफिट
सरकार ने स्टार्टअप पॉलिसी के तहत कहा था कि केवल उन कंपनियों को स्टार्टअप माना जाएगा। जिनको बिजनेस करते हुए 5 साल से ज्यादा नहीं हुए हों, कंपनी 1 अप्रैल 2016 के बाद बनी हो, उसका सालाना टर्नओवर 25 करोड़ रुपए से ज्यादा न हो। वह इनोवेनशन, डेवलपमेंट, नए प्रोडक्ट को कमर्शियल करने आदि करने में शामिल हो। ऐसी कंपनियों को टैक्स बेनेफिट्स मिल सकते हैं।
सरकार के पास 1,308 एप्लीकेशन आई, जिनमें से 502 कंपनियों को डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रीयल पॉलिसी एंड प्रोमोशल (डीआईपीपी) ने स्टार्टअप माना। इसके अलावा, कुल एप्लीकेशन में से 111 पर टैक्स बेनेफिट्स विचार-विमर्श किया गया जोकि 1 अप्रैल 2016 के बाद बनी थीं।
अंतत: डीआईपीपी की ओर से बनए गए इंटर-मिनिस्ट्रियल बोर्ड की ओर से 8 स्टार्टअप्स को ही टैक्स बेनेफिट्स की मंजूरी मिली है।
लीगल एडवाइजर और बरगियोन बिजसपोर्ट एलएलपी की फाउंडर रोम प्रिया ने बताया कि स्टार्टअप का एक ही साल हुआ है। ऐसे में कंपनियों के सामने कई सवाल रहते हैं जैसे ऑपरेशन कैसे चलाएंगे, रेवेन्यू कमाने और प्रॉफिट कहां से आएगा। ऐसे में कंपनियां टैक्स बचाने के बारे में सोच ही नहीं पाती हैं।
इसके अलावा, कई कंपनियों को यह नहीं पता कि उन्हें अप्लाई कैसे करना है और वह केवल अगले पांच साल में ही फायदा उठा सकती हैं। मौजूदा समय में प्रोसेस थोड़ा लंबा भी है। कई कंपनियां इस ओर ध्यान भी नहीं दे रही हैं।
10 हजार करोड़ के फंड का पता नहीं
सरकार की ओर से स्टार्टअप्स के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड ऑफ फंड्स बनाया था जिसे सिडबी मैनेज कर रहा है। यह फंड सेबी रजिस्टर्ड वीसी फंड्स में इन्वेस्ट करेगा जो भी बाद में स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट करेगा। हालांकि इस मेगा फंड का फायदा लोगों तक पहुंच ही नहीं पाया है।
सिडबी की ओर से आठ वेंचर फंड्स को स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट करने के लिए चुना था। इसकी राशि 428 करोड़ रुपए रखी गई। लेकिन लोगों इसका फायदा नहीं मिला। इंडियन एजेंल नेटवर्क के चेयरमैन सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि अभी टोटल अकाउंट में सिडबी का योगदान 15 फीसदी रहता है और वीसी को 85 फीसदी फंड जुटाना रहता है। इसका मतलब यह है कि जब तक वीसी फंड नहीं जुटाएगा तब तक उसे सिडबी से पैसे नहीं मिल पाएंगे।
क्रेडिट गारंटी फंड का भी बुरा हाल
सिडबी और नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी के जरिए अगले 4 साल के लिए प्रत्येक वर्ष 500 करोड़ रुपए दिया जाना है। हालांकि इस स्कीम के बारे में भी कोई अपडेट नहीं मिला है।
बंद हुए कई स्टार्टअप्
साल 2016 में कई स्टार्टअप्स ने अपना ऑपरेशन बंद किया। इसमें पेपरटैब, फैशनआरा, टिनी ओवल और आस्कमी बड़े नाम हैं।
डाटा एनालिटिक्स कंपनी टैक्न ने करीब 800 स्टार्टअप्स की लिस्ट बनाई है जो खत्म हो गए हैं। वहीं, 2016 में अब तक कुल 32 कंपनियों ने अपना कारोबार समेट लिया जबकि साल 2015 में केवल 17 कंपनियां ऐसी थीं जिन्होंने अपना कारोबार समेटा था।
Source: Money Bhaskar