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नोटबंदी के बावजूद जीडीपी ने लगाई ऊंची छलांग, दिसंबर तिमाही में 7% रही वृद्धि दर

चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2016) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर तमाम कयासों के बावजूद नोटबंदी का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा।

विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की बदौलत तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास की दर उम्मीद से कहीं बेहतर रही।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी की वृद्धि‍ दर 7 फीसदी रही, जो जुलाई-सितंबर तिमाही के 7.4 फीसदी से कम है। पूरे वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 7.1 फीसदी वृद्धि‍ दर के अपने पहले के अनुमान को बरकरार रखा है।

रॉयटर्स के विश्लेषकों के बीच कराए सर्वेक्षण में दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि‍ दर के 6.4 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया था, वहीं ब्लूमबर्ग ने 6.1 फीसदी वृद्धि‍ दर का अनुमान लगाया था। इसके अतिरिक्त दिसंबर तिमाही में बुनियादी नियत मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) की वृद्धि‍ दर 6.6 फीसदी रही और पूरे वित्त वर्ष के दौरान इसके 6.7 फीसदी विकास करने की उम्मीद है।

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा, “जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि विमुद्रीकरण के नकारात्मक प्रभाव को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा था। भारत ने 7 फीसदी विकास दर को बरकरार रखा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में यह चमकता सितारा है।”

विभिन्न अर्थशास्त्रियों, विश्लेषकों और एजेंसियों ने विमुद्रीकरण के प्रभाव के कारण जीडीपी के विकास दर को 7 फीसदी से नीचे रहने का अनुमान जताया था और कुछ ने तो 6 फीसदी से भी नीचे रहने का अंदेशा जताया था।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विनिर्माण जीवीए (बुनियादी नियत मूल्य पर) में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.3 फीसदी की वृद्धि‍ दर्ज की गई, वहीं जुलाई-सिंतबर तिमाही में इसमें 6.9 फीसदी की वृद्धि‍ देखी गई थी।

समीक्षाधीन अवधि में कृषि, वानिकी और मत्स्यन की वृद्धि‍ दर 6 फीसदी रही, जो पिछले साल समान अवधि में 3.8 फीसदी बढ़ी थी। खनन क्षेत्र 7.5 फीसदी की दर से विकास किया जबकि पिछले साल इस दौरान इसमें 1.3 फीसदी की गिरावट आई थी।

दूसरी तिमाही की तुलना में निर्माण क्षेत्र में तीसरी तिमाही के दौरान नरमी देखी गई। इस क्षेत्र की वृद्धि‍ दर महज 2.7 फीसदी रही जबकि दूसरी तिमाही में इसने 3.2 फीसदी विकास किया था। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र की वृद्धि‍ दर दिसंबर में 3.1 फीसदी रही जो दूसरी तिमाही में 7.6 फीसदी बढ़ी थी।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र के 8.3 फीसदी बढऩे और निर्माण गतिविधियों में 2.7 फीसदी की वृद्धि‍ दर सबसे ज्यादा चकित करने वाली रही क्योंकि नकदी की किल्लत से निर्माण क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका थी।”

उन्होंने कहा कि जीवीए वृद्धि‍ दर उम्मीद से ज्यादा रही जो कृषि और उद्योग के उप-क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की वजह से हो सकती है जबकि सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन कमजोर रहा, जैसा कि अनुमान जताया गया था।

नायर ने कहा, “तिमाही जीवीए का शुरुआती अनुमान मुख्य रूप से औपचारिक क्षेत्र के उपलब्ण्ध आंकड़ों पर आधारित था, जिस पर अनौपचारिक क्षेत्र से ज्यादा नोटबंदी का असर पडऩे की आशंका थी। तीसरी तिमाही में जीवीए वृद्धि‍ 6.6 फीसदी रही जिसमें संभवत: नोटबंदी का पूरा प्रभाव शामिल नहीं हुआ हो। ऐसे में व्यापक डेटा उपलब्ध होने पर तीसरी तिमाही के अनुमान में संशोधन किया जा सकता है।”

Source: The Business Standard