क्रियान्वयन की अंतिम कड़ी को पूरा किया गया है. सदन में सर्वसम्मति से जीएसटी विधेयक को पास किये जाने के लिए मुख्यमंत्री ने सबको धन्यवाद दिया. सीएम ने कहा कि बजट सत्र की कार्यवाही पूरी होने के बाद सत्रावसान नहीं किया गया था. उम्मीद थी कि संसद से जीएसटी बिल पास होगा. इसके बाद राज्य विधानमंडलों से इसे पास कराया जाना जरूरी हाेगा. जीएसटी विधेयक को सबसे पहले विधानसभा में पेश किया गया. भाकपा माले के महबूब आलम के विरोध के बावजूद इसे पारित कर दिया गया.
इसे पेश करते हुए वाणिज्यकर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि इसके माध्यम से एक नयी व्यवस्था आयी है. कानून बन गया है, तो संभव है कि भविष्य में इससे कठिनाइयां भी आयेंगी. इस व्यवस्था से देश को लाभ होगा, तो बिहार को भी फायदा मिलेगा. इस कानून से आम लोगों के जीवन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उनको सहूलियत मिलेगी. जो लोग लग्जरी जीवन जीते हैं, उनको थोड़ा टैक्स देना पड़ेगा. राज्य में गरीब विद्यार्थियों को पोशाक व साइकिल योजना के लिए धन की आवश्यकता होती है. ऐसे में इस विधेयक को पास किया जाना आवश्यक है. देश भर में वर्तमान में लगाये जा रहे अप्रत्यक्ष टैक्स की व्यवस्था काफी जटिल है. इसके अधीन हो रहे चुकाये गये टैक्स पर फिर से टैक्स लगाया जाना उचित नहीं है. वर्तमान कानून से भिन्न-भिन्न स्तरों पर विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाना, केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग परिस्थिति में लगाया जाना, संपूर्ण व्यवस्था में पारदर्शिता का अभाव, टैक्स प्रशासन सिस्टम पर भी इन टैक्स के प्रशासन का बोझ बढ़ जाता है.
इसे देखते हुए अखिल भारतीय स्तर पर सभी राज्य एवं केंद्र सरकार के समेकित प्रयास से इस व्यवस्था को एक नयी, सरल और पारदर्शी व्यवस्था में बदलने का निर्णय लिया है. अब नये कानून से जीएसटी सभी राज्यों एवं केंद्र द्वारा एक साथ और एक रूप में मालों एवं सेवाओं के संदर्भ में लगाया जायेगा. इस व्यवस्था को लागू करने में सबसे पहले संविधान में 101वां संशोधन किया गया, जिसका समर्थन करने में बिहार अग्रणी राज्य रहा. इस कानून में ऐसी व्यवस्था की गयी है, जिससे समेकित टैक्स लगाने की शक्ति केंद्र व राज्यों को प्राप्त हो जायेगी. इसकी ड्राफ्टिंग में बिहार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इस विधेयक के प्रावधानों के लागू होने के बाद पूरे देश में अप्रत्यक्ष टैक्स की व्यवस्था में सरलता और पारदर्शिता आयेगी. भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा की क्षमता में वृद्धि होगी और देश को एक साझा बाजार के रूप में विकसित किये जाने में सहायता मिलेगी.
बिहार को जीएसटी से लाभ होगा
वाणिज्यकर मंत्री ने कहा कि बिहार को जीएसटी से लाभ होगा. यह व्यवस्था ऐसी है, जिसके अधीन खपत पर ही टैक्स लगाया जायेगा और बिहार मुख्य रूप से ऐसा आयातक राज्य है. उन्होंने बताया कि विधेयक में ऐसी व्यवस्था की गयी है कि इ-कॉमर्स के माध्यम से मंगाये गये मालों पर कर कहीं भी संग्रहित हो, उपभोक्ता अगर बिहार का है, तो वह टैक्स राज्य को प्राप्त हो जायेगा. इस कानून से सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों को प्राप्त हो जायेगा. इससे टेलीकॉम, बैंकिंग, बीमा, अन्य वित्तीय सेवाएं के साथ रेल एवं सड़क मार्ग से परिवहन जैसी प्रमुख सेवाओं पर राज्यों को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी. वैसी सभी सेवाओं पर राज्य को टैक्स प्राप्त होगा, जो वर्तमान में नहीं हो रहा है.
जीएसटी के अधीन अखिल भारतीय स्तर पर तैयार किये जा रहे कॉमन पोर्टल पर सभी व्यवसायियों को विवरणी दाखिल करने की बाध्यता के कारण राज्य में आनेवाले मालों पर टैक्स की प्राप्ति सुनिश्चित की जायेगी. जीएसटी के अधीन परिवहन के लिए आवश्यक दस्तावेज कॉमन पोर्टल के माध्यम से जारी किये जाने के कारण ऐसे परिवहन का प्रभावी रूप से मॉनीटरिंग संभव होगा.
विधानसभा में भाकपा (माले) विधायक महबूब आलम ने जीएसटी और भू-अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार (बिहार संशोधन) विधेयक 2017 का विरोध किया. सभी विधेयकों पर स्वीकृति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में दी गयी.
बिहार माल और सेवा कर विधेयक 2017 को लेकर वाणिज्यकर विभाग के प्रभारी मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि जीएसटी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चट्टान की तरह पक्ष में खड़े रहे. जब से जीएसटी बिल आया, तब से मुख्यमंत्री चाहे जहां रहे, इस मुद्दे पर अडिग होकर रहे. पर इसके पहले जो मुख्यमंत्री थे, तो जीएसटी का विरोध करते रहे. उस समय गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से जीएसटी का विरोध किया गया. यह एक्ट 1935 का एक्ट है. गुलाम भारत में जब अंगरेज रूई यहां से ले जाते थे और तैयार कपड़ा बेचने के लिए लाते थे, उस समय का प्रावधान है. सच अपनी जगह पर कायम रहता है.
विधानसभा में चर्चा में भाग लेते हुए विरोधी दल के नेता प्रेम कुमार ने कहा कि इस विधेयक को पास कराने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बधाई के पात्र हैं. उनकी अगुआई में पूरे सदन ने इस बिल को पास किया था. नोटबंदी के बाद यह बड़ा कानून आया है. अब एक राष्ट्र और एक बाजार का सपना सच हो जायेगा.
कांग्रेस के सदानंद सिंह ने कहा कि जीएसटी को लाने में विलंब के लिए सिर्फ भाजपा दोषी है. 2006 में यह विधेयक पारित हो जाता, तो देश में 12 लाख करोड़ रुपये विकास कार्यों के लिए उपलब्ध हो जाते. बिहार को 32% केंद्रीय अनुदान की जगह 42% अनुदान प्राप्त होता. राजद के भाई वीरेंद्र ने कहा कि भाजपा के लोगों को इसके लिए प्रायश्चित करना चाहिए.
चार और विधेयक हुए पारित: विधानमंडल ने सोमवार को बिहार जीएसटी बिल के अलावा बिहार कराधान विधि (संशोधन) बिल 2017, बिहार राज्य विवि (संशोधन)बिल-2017, पटना विवि (संशोधन) बिल 2017 और भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार (बिहार संशोधन)बिल 2017 को पास कर दिया.
11.5 फीसदी बढ़ेगी राज्य सरकार की आय, उपभोक्ताओं को भी लाभ
एक जुलाई से पूरे देश में जीएसटी लागू होने जा रहा है. चूंकि बिहार एक उपभोक्ता (कंज्यूमर) प्रधान राज्य है, इसलिए प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक जीएसटी से राज्य सरकार कर राजस्व में 8-10 करोड़ की बढ़ोतरी होगी. वर्ष 2016-17 में राज्य सरकार को टैक्स से करीब 87 हजार करोड़ (58 हजार करोड़ केंद्रीय करों में हिस्सा व 29 हजार कराेड़ राज्य सरकार का अपना कर संग्रह) की आय हुई थी.
इस तरह जीएसटी लागू होने से राज्य सरकार की आय में करीब 11.5% की वृद्धि हो सकती है. हालांकि, इसके लागू होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा. वहीं, उपभोक्ताओं को भी सामान खरीदने में कम टैक्स देना पड़ेगा.
‘वन नेशन, वन टैक्स और वन बिजनेस’ की परिकल्पना को साकार करनेवाले इस टैक्स की मूल अवधारणा उपभोक्ता और सामान की अधिक खपत करने को लेकर है. यानी जहां ज्यादा सामान की खपत होगी, वहां (राज्य को) टैक्स का शेयर भी ज्यादा मिलेगा. राज्य में उपभोक्ताओं की संख्या सबसे ज्यादा है.
पहले राज्य के बाहर से सामान खरीद कर यहां लाने पर राज्य को टैक्स का नुकसान हो जाता था. ऑनलाइन सामान की खरीदारी करने पर भी राज्य को टैक्स शेयर नहीं मिलता था, क्योंकि खरीदारी दूसरे राज्यों से होती थी. जीएसटी लागू होने के बाद जहां का डिलेवरी एड्रेस होगा, उस राज्य को भी टैक्स का शेयर चला जायेगा.
इसलिए होगा बिहार को फायदा
बिहार को सबसे ज्यादा फायदा कर चोरी रुकने से होगा. साथ ही ऑनलाइन मार्केटिंग या दूसरे राज्य से किसी तरह का सामान खरीद कर बिहार में लाया जाता है, तो उसका टैक्स अभी राज्य सरकार को नहीं मिल पाता है. लेकिन जीएसटी लागू होने से ऐसा नहीं हो सकेगा. किसी दूसरे राज्य में सामान खरीदने पर अगर कोई व्यक्ति बिहार का अपना पता देता है, तो उसका टैक्स शेयर बिहार के वाणिज्यकर खाते में स्वत: पहुंच जायेगा. इसके लिए पूरी तरह से ऑनलाइन जीएसटी प्रणाली तैयारी की गयी है, जिसका कंट्रोल या सर्वर जीएसटी मुख्यालय यानी वित्त मंत्रालय में होगा.
बिहार के बाहर भी कोई माल खरीदने पर राज्य को उसकी उचित हिस्सेदारी मिल जायेगी. इसके अलावा अगर कोई व्यापारी राज्य के बाहर व्यापार करता है या बाहर माल भेजता या बाहर के बिल पर माल मंगवाता है. तब भी बिहार का पता इंट्री करने पर उसका टैक्स राज्य के खाते में खुद-ब-खुद चला आयेगा. यह देश के किसी कोने में रहने से ऐसा होगा. इस तरह राज्य को टैक्स का शेयर यहां किसी रूप में माल लाने पर होगा.
खत्म हो जायेंगे सभी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर
बिहार जैसे उपभोक्ता प्रधान राज्य को जीएसटी से काफी बड़ा फायदा होगा. लोगों को सामान खरीदने में कम टैक्स देना होगा. वर्तमान में लगनेवाले कई तरह के अप्रत्यक्ष टैक्स समाप्त हो जायेंगे. मसलन, वर्तमान में किसी सामान पर उसके उत्पादन से वितरण तक में कई तरह के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स लगते हैं. इनमें केंद्रीय सर्विस टैक्स, उत्पाद, सेंट्रल वैट फिर राज्य का वैट समेत अन्य टैक्स लगते हैं. इस तरह अभी सभी टैक्सों को जोड़ने पर करीब 40% टैक्स लगता है.
जीएसटी लागू होने के बाद यह घट कर करीब आधा यानी 20% के आसपास हो जायेगा. साथ ही सभी तरह के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स को मिला कर सिर्फ एक जीएसटी लगेगा. इस तरह लोगों को कई चरणों पर नहीं, बल्कि एक ही स्थान पर टैक्स देना पड़ेगा. बिहार जैसे उपभोक्तावादी राज्य के लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद होगा. टैक्स कम होने से सामान सस्ता हो जायेगा.
ऐसे होगा बिहार को लाभ
ऑनलाइन खरीदारी पर टैक्स कहीं भी संग्रहित हो, यदि उपभोक्ता बिहार का है, तो वह टैक्स राज्य को मिलेगा. सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों को मिलेगा. इससे टेलीकॉम, बैंकिंग, बीमा, अन्य वित्तीय सेवाएं, रेल व सड़क परिवहन जैसी सेवाओं पर राज्यों को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा कॉमन पोर्टल पर व्यवसायियों को विवरणी दाखिल करने की बाध्यता से इंट्री टैक्स की चोरी की संभावना खत्म हो जायेगी
अलग रहेगा पेट्रोल, डीजल, वैज्ञानिक ईंधन, मानव उपयोगी शराब व रियल स्टेट: वाणिज्यकर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने सदन में बताया कि इस जीएसटी से छह प्रकार की वस्तुओं को अलग रखा गया है. इनमें पेट्रोल, डीजल, वैज्ञानिक ईंधन, मानव उपयोगी शराब और रियल स्टेट शामिल हैं. इन वस्तुओं पर राज्य सरकार समय-समय पर टैक्स घटा या बढ़ा सकती है.
Source: Prabhat Khabar