मॉडल जीएसटी बिल की उच्चतम सीमा तय कर दी गई है। इसे 14 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। अब केंद्र और राज्य दोनों मिलकर 40 फीसदी टैक्स वसूल सकते हैं। वहीं स्लैब में कोई बदलाव नहीं होगा।
केंद्र औऱ राज्य दोनों मिलाकर 40 फीसदी तक टैक्स वसूल सकेंगी। मॉडल जीएसटी लॉ में सरकार जीएसटी के तहत टैक्स की अधिकतम सीमा 20 फीसदी तय कर सकती। फिलहाल मॉडल जीएसटी लॉ में टैक्स की अधिकतम दर 14 फीसदी रखने का प्रस्ताव था।
राज्य सरकारों की तरफ से आए सुझाव के बाद जीएसटी काउंसिल अधिकतम सीमा 20 फीसदी करने के पक्ष में है। बता दें कि मॉडल जीएसटी लॉ में सरकार जीएसटी के तहत टैक्स की अधिकतम सीमा 20 फीसदी तय कर सकती है, जबकि फिलहाल मॉडल जीएसटी लॉ में टैक्स की अधिकतम दर 14 फीसदी रखने का प्रस्ताव था।
इस तरह, केंद्र या राज्य सरकार अधिकतम 20 फीसदी तक टैक्स वसूल सकेंगी। वहीं केंद्र और राज्य दोनों मिलाकर 40 फीसदी टैक्स वसूल सकेंगी।
जीएसटी लागू होने के साथ ही अधिकतम दर के हिसाब से टैक्स नहीं लगेगा। जीएसटी लागू होने के साथ टैक्स स्लैब का मौजूदा प्रस्ताव ही अमल में लाया जा सकता है।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने प्रस्ताव किया है कि आदर्श वस्तु एवं सेवा कर विधेयक में टैक्स की अधिकतम मुख्य दर को प्रस्तावित 14 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी तक रखने का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में दर बढ़ाने के लिए संसद के पास जाने की जरूरत न पड़े।
इसका मतलब होगा कि केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी दोनों ही 20 फीसदी तक टैक्स वसूल सकते हैं, इससे अधिकतम टैक्स की दर 20 फीसदी तक करने की छूट होगी।
मौजूदा प्रस्ताव के मुताबिक 4 टैक्स स्लैब होंगे
5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी, 28 फीसदी
जीएसटी लागू होने के साथ टैक्स स्लैब का मौजूदा प्रस्ताव ही अमल में लाया जा सकता है। आगे अगर सरकार को विशेष परिस्थितियों में जरूरत पड़ी तो टैक्स की दर बढ़ा सकती है। जरूरत पड़ने पर चुनिंदा सेवाओं औऱ लग्जरी आइटम पर टैक्स की दरें बढ़ाई जा सकती हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकारों की तरफ से आए सुझाव के बाद जीएसटी काउंसिल अधिकतम सीमा 20 फीसदी करने के पक्ष में है। साथ ही जीएसटी लागू होने के साथ ही अधिकतम दर के हिसाब से टैक्स नहीं लगेगा। मौजूदा प्रस्ताव के मुताबिक 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी इस तरह 4 टैक्स स्लैब होंगे।
हालांकि, आगे अगर सरकार को विशेष परिस्थितियों में जरूरत पड़ी तो टैक्स की दर बढ़ा सकती है। साथ ही जरूरत पड़ने पर चुनिंदा सेवाओं और लग्जरी आइटम पर टैक्स की दरें बढ़ाई जा सकती हैं।
Source: ABP News