गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से सामान प्राप्त करने वाले उद्योगों या संस्था को राशि का भुगतान 45 दिन नहीं होने की स्थिति में संबंधित पक्ष उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में गठित सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद में वाद प्रस्तुत कर राहत प्राप्त कर सकते हैं।
एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को मूलधन एवं विलंबित अवधि की बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करना होता है।
परिषद् की बैठक में उद्योग आयुक्त श्री अजिताभ शर्मा के अलावा संयोजक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति श्री एन.सी. उप्रेती, उद्योग संघों के प्रतिनिधि श्री ताराचंद गोयल व उद्योग, वित्त एवं वाणिज्य विशेषज्ञ श्री योगेश गौतम सदस्य है। एमएसएमई सुविधा परिषद की बैठक में 21 प्रकरणों पर विचार किया गया।
उभयपक्षोंं की सहमति से आग्रह पर एक प्रकरण को बंद किया गया वहीं चार प्रकरणों में अवार्ड जारी किया गया। इनमें एशियाटिक ड्रग व आरडीपीएल, तोषणीवाल इण्डस्ट्रीज अजमेर और टेकप्रो सिस्टम पुणे, अपराइज लेमिनेटर्स जयपुर व नीलकंठ मिनरल सीकर तथा पर्ल माल्ट नीमराना और सोम डिस्टीलरी भोपाल के प्रकरण में अवार्ड पारित कर राहत दी गई है।
सुविधा परिषद के अध्यक्ष अजिताभ शर्मा ने बताया कि सुविधा परिषद की नियतकालीन बैठक होने से राज्य की एमएसएमई इकाइयों को बड़ी राहत मिल पा रही है वहीं उभय पक्षों को आपसी समझाइश से भी प्रकरणों के निबटान का अवसर दिया जा रहा है। परिषद की बैठक में उद्योग विभाग की और से अतिरिक्त निदेशक श्री पीसी जैन द्वारा प्रकरणों की विस्तार से जानकारी दी गई।
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