SMEpost

रॉ-मटेरियल महंगा होने से पोल्ट्री इंडस्ट्री की लागत 20-30 फीसदी बढ़ी, प्रोडक्शन कम होने की आशंका

पोल्ट्री इंडस्ट्री में लागत बढ़ने से मुनाफे में कमी आई है। पिछले दो महीने में ब्रायलर चिक (चूजा) के दाम दोगुने की और तैयार फीड में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

ऐसे में कुल लागत में भी 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।

इस सबके चलते कारोबार से जुड़े छोटे कारोबारियों ने फिलहाल बिजनेस होल्ड कर दिया है। वे अभी रॉ मटेरियल के दाम कम होने का इंतजार कर रहे हैं। आमतौर पर जून-जुलाई (गर्मियों के कारण) में बनने वाले ये हालात अप्रैल में बन गए हैं।

मार्केट से जुड़े लोग वर्तमान हालातों को देखते हुए प्रोडक्शन में अच्छी-खासी कमी आने की आशंका जता रहे हैं।

डेढ़ महीने में दो गुने हुए चिक के दाम

ब्रॉयलर फार्मिंग के लिए सीड यानी चिक के दामों में पिछले डेढ़ महीने में दोगुने की बढ़ोतरी हो चुकी है। फरवरी में चिक सीड के दाम 22 से 27 रुपए के बीच थे लेकिन, मौजूदा समय में यह 47 से 52 रुपए के बीच बिक रहा है। ये दाम मार्च के दूसरे सप्ताह से अभी तक बने हुए हैं।

यही नहीं हैदराबाद में चिक के दाम इन दिनों 77 रुपए प्रति नग हैं। जबकि, इसे पिछले साल से तुलना करें तो पिछले साल अप्रैल में 27 से 30 रुपए चूजे की बिक्री हो रही थी। इसके लिए पोल्ट्री सीड (चूजा) बनाने वाली कंपनियां उत्पादन कम होने का हवाला दे रहीं हैं। हालांकि, उत्पादन कम क्यों हो रहा है इसके पीछे कोई वाजिब कारण नहीं हैं।

प्रमुख कंपनी वेंकीज के अधिकारियों का कहना इस समय चिक प्रोडक्शन बेहद कम है।

गाजियाबाद स्थित मार्केटिंग ऑफिस के अधिकारी विवेक राणा का कहना है कि गर्मियों में चिक के मरने की ज्यादा संभावना रहती है। लिहाजा कंपनियों ने प्रोडक्शन घटा दिया है।

फीड के दामों में भी हुई बढ़ोतरी

पिछले साल देश में मक्का और सोयबीन का कम उत्पादन हुआ था लिहाजा दोनों ही चीजें बाहर से आयात करनी पड़ी थीं। लेकिन, पोल्ट्री फीड के लिए अहम दोनों चीजों का उत्पादन इस साल बंपर हुआ है। बावजूद इसके तैयार पोल्ट्री फीड के दामों में तेजी आई है।

मौजूदा समय में मक्का 1400 से 1600 रुपए प्रति क्विंटल और सोयबीन 2400 से 2700 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है। लेकिन, पोल्ट्री फीड 20 से 30 फीसदी महंगा हो गया है। प्रमुख कंपनियों ने अपने विभिन्न स्तर (स्टार्टर, ग्रोअर और फिनिशर) के फीड में यह बढ़ोतरी की है।

दयाल पोल्ट्री फूड के एमडी रमेश मलिक कहते हैं कि फीड में मिक्स होने वाली जरूरी दवाएं व अन्य प्रोडक्ट के दामों में तेजी के कारण दामों में बढ़ोतरी की गई है।

गर्मियों के चलते अंडा प्राइस में आई भारी कमी

वर्तमान में अगर पॉल्ट्री प्रोडक्ट के प्राइस की बात करें तों यहां भी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। मार्च के प्रथम सप्ताह में अंडा भाव 3.90 रुपए से 4.10 रुपए के आसपास था। ऐसा इस साल मार्च-अप्रैल में ही गर्मियां बढ़ने के चलते हो रहा है।

लेकिन, इस समय दिल्ली के मुर्गा मंडी में अंडे के भाव 2.75 रुपए बने हुए हैं। यही नहीं, विभिन्न मार्केट में अंडा भाव 2.60 रुपए तक हैं। गर्मियों में अंडा की खपत कम हो जाती है, लिहाजा दाम कम होते हैं। जबकि, ब्रॉयलर मीट भाव की बात करें तो यह फिलहाल 80 से 93 रुपए प्रति किलोग्राम पर बने हुए हैं। लेकिन, इस दाम पर भी सप्लाई बेहद कम है।

दिल्ली मुर्गा मंडी के कारोबारी राशिद अहमद ने बताया कि पिछले 15 दिनों में मंडी में सप्लाई 20 फीसदी तक घट गई है। इसका कारण है कि गांवों में छोटे किसान फिलहाल मुर्गी पालन से दूरी बनाए हुए हैं। वे चूजे और फीड के सस्ते होने का इंतजार कर रहे हैं।

प्रोडक्शन घटने के आसार

उत्तर भारत में हरियाणा राज्य पोल्ट्री इंडस्ट्री में अच्छी-खासी हिस्सेदारी रखता है।

हरियाणा पोल्ट्री एंड लेयर फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने बताया कि यहां लगभग 20 से 25 फीसदी छोटे किसानों ने अप्रैल में सीड नहीं डाला है। इसका कारण एकाएक चूजे के दाम बढ़ने और तैयार फीड महंगा होना है।

भूपेंद्र सिंह ने बताया कि गर्मियों में मांग कम रहती थी तो प्रोडक्शन पर असर पड़ता था। लेकिन, मार्च अप्रैल को गर्मियों में नहीं गिना जा सकता है। अभी आने वाले दिनों में जब गर्मियां और बढ़ेंगी तो प्रोडक्शन में भी अच्छी खासी कमी आने के आसार हैं।

Source: Money Bhaskar

Image Courtesy: The Source