सम्मेलनों या कक्षाओं से लोगों को इसके लिए प्रेरित नहीं किया जा सकता। जिनमें ये गुण हैं उनके लिए उचित पारितंत्र तैयार करने और उन्हें थोड़ी सी सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा इसलिए जरूरी है ताकि स्टार्टअप विफलता से डरें नहीं।
केंद्रीय मंत्री ने मौजूदा संसाधनों और सोच में बदलाव की जरूरत को रेखांकित करते हुये कहा कि 21वीं सदी की योजनाएँ 19वीं सदी की सोच और 20वीं सदी के उपकरणों के साथ सफल नहीं हो सकतीं।
उन्होंने कहा कि दो दशक पहले देश में हर व्यक्ति वैश्विकरण की बात कर रहा था, लेकिन उसके कुप्रभाव सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि चीन तथा अन्य देशों से सस्ती आपूर्ति से घरेलू उद्योगों को होने वाले नुकसान से बचने का एकमात्र उपाय किफायती कीमत पर क्षेत्रीय हब तैयार करना है क्योंकि इससे परिवहन लागत बचने से वस्तुएँ सस्ती होंगी।
श्री चौधरी ने कहा कि आज विकास की ओर एक–एक कदम बढ़ाने की बजाय लंबी छलाँग लगाने की जरूरत है। भारत के पास इतनी बड़ी आबादी और युवा शक्ति है कि उसे आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता। परिषद की प्रबंध निदेशक डॉ रेणू स्वरूप ने बताया कि परिषद, ने पाँच साल में 618 परियोजनाओं, 20 इनक्यूबेटरों तथा 850 स्टार्टअप, उद्यमियों, बायोटेक कंपनियों और संगठनों को समर्थन दिया है जिसके परिणाम स्वरूप 66 उत्पाद एवं प्रौद्योगिकियाँ और 120 बौद्धिक संपदा का विकास किया जा रहा है।
Source: punjabkesari