ई कॉमर्स कंपनियो के लिए क्या है टैक्स कलेक्शन एट सोर्स का मतलब
जीएसटी में प्रस्तावित टैक्स कलेक्शन एट सोर्स के तहत ई कॉमर्स कंपनियों को ट्रांजैक्शन वैल्यू का 2 फीसदी काट कर सरकार के पास जमा कराना होगा। एक अनुमान के मुताबिक इससे ई कॉमर्स कंपनियों की सालाना 400 रुपए पूंजी फंस जाएगी।अमेजन इंडिया के कंट्री हेड अमित अग्रवाल का कहना है कि टैक्स कलेक्शन एट सोर्स के प्रावधान से ई कॉमर्स इंडस्ट्री पर खराब असर पड़ेगा।
सेलर्स को भी होगा नुकसान
ई कॉमर्स इंडस्ट्री का कहना है कि टैक्स कलेक्शन एट सोर्स से ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अपने प्रोडक्ट बेचने वाले सेलर्स को भी नुकसान होगा। स्नैपडील के को फाउंडर और सीईओ कुणाल बहल का कहना है कि टैक्स कलेक्शन एट सोर्स के क्लाज से लाखों स्माल सेलर्स को नुकसान होगा। इससे उनके लिए ऑनलाइन बिक्री महंगी पड़ेगी।
सेलर्स को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आने से करेगा हतोत्साहित
ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म सेलर्स को ऐसा मॉडल मुहैया कराता है जहां वे कम पूंजी के साथ भी काम कर सकते हैं और ज्यादा वॉल्यूम के साथ मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन टीसीएस की वजह से उनको अधिक वर्किंग कैपिटल की जरूरत पड़ेगी। फ्लिपकार्ट के को फाउंडर और एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सचिन बंसल का कहना है कि टैक्स कलेक्शन एट सोर्स का प्रावधान इंडस्ट्री की लगभग 400 करोड़ रुपए की पूंजी को ब्लॉक करेगा। इससे सेलर्स को ऑलनाइन प्लेटफॉर्म पर आने से हतोत्साहित करेगा।
भेदभावपूर्ण है क्लाज
ई कॉमर्स इंडस् ट्री का कहना है कि टीसीएस का क्लाज भेदभावपूर्ण है क्योंकि इसे ऑफलाइन रिटेल सेगमेट पर नहीं लागू किया गया है। ऐसे में ई कॉमर्स कंपनियों पर टीसीएस का क्लाज लागू करना डिजिटल इंडिया की नीति के भी खिलाफ है। ई कॉमर्स सेक्टर बड़े पैमाने पर युवाओं को नौकरियां मुहैया करा रहा है।
Source:money.bhaskar